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2021-22 में कर संग्रह 34 प्रतिशत बढ़ा

Last Updated- December 11, 2022 | 8:03 PM IST

केंद्र सरकार ने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह के अनपे सभी अनुमानों को पीछे छोड़ दिया है। इसमें अप्रत्यक्ष कर में शानदार बढ़ोतरी, अनुपालन संबंधी उठाए गए कदमों और महामारी की कई लहरों के बाद ज्यादातर सेक्टर में रिकवरी की अहम भूमिका रही है।
देश में कुल कर संग्रह बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 34 प्रतिशत उछलकर रिकॉर्ड 27.07 लाख करोड़ रुपये रहा। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह में उछाल से कुल संग्रह बढ़ा है। इससे कर-जीडीपी अनुपात 23 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। राजस्व सचिव तरूण बजाज ने आज यह जानकारी दी।
कर-जीडीपी अनुपात बढ़कर 11.7 प्रतिशत पर पहुंच गया। यह 1999 के बाद सर्वाधिक है। यह अनुपात 2020-21 में 10.3 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि जीडीपी में बदलाव और सरकार के राजस्व में वृद्धि में परिवर्तन (टैक्स बॉयोन्सी) करीब दो रहा है। यानी कर संग्रह में वृद्धि बाजार मूल्य पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के मुकाबले दोगुनी रही है।
बजाज ने संवाददाताओं से कहा, ‘कई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। जीएसटी आंकड़ों का मिलान आयकर आंकड़ों से किया जा रहा है तथा अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके कारण बेहतर अनुपालन और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों मोर्चों पर बेहतर राजस्व सुनिश्चित हुआ है।’
उन्होंने कहा कि सकल कर संग्रह अप्रैल 2021 से मार्च 2022 में 27.07 लाख करोड़ रुपये रहा। यह बजट में जताए गए 22.17 लाख करोड़ रुपये के अनुमान से 5 लाख करोड़ रुपये अधिक है। कुल कर संग्रह 2021-22 में इससे पिछले वित्त वर्ष के 20.27 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 34 प्रतिशत अधिक है। प्रत्यक्ष कर संग्रह इस दौरान 49 प्रतिशत उछलकर 14.10 लाख करोड़ रुपये रहा। प्रत्यक्ष कर के अंतर्गत व्यक्तिगत आयकर और कंपनी कर आता है। बजाज ने कहा कि प्रत्यक्ष कर में यह वृद्धि संभवत: लंबे समय बाद सर्वाधिक है। प्रत्यक्ष कर मद में कॉर्पोरेट कर 56.1 प्रतिशत बढ़कर 8.58 लाख करोड़ रुपये जबकि व्यक्तिगत आयकर संग्रह 43 प्रतिशत बढ़कर करीब 7.49 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष के दौरान 2.43 इकाइयों को आयकर  के 2.24 लाख करोड़ रुपये वापस किए गए। उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क समेत अप्रत्यक्ष कर संग्रह 2021-22 में 20 प्रतिशत बढ़कर 12.90 लाख करोड़ रुपये रहा। बजट में अप्रत्यक्ष कर संग्रह 11.02 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था। अप्रत्यक्ष कर मद में सीमा शुल्क संग्रह 2021-22 में 48 प्रतिशत बढ़कर 1.99 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। वहीं केंद्रीय जीएसटी (माल एवं सेवा कर) और उपकर 30 प्रतिशत बढ़कर 6.95 लाख करोड़ रुपये रहा। उत्पाद शुल्क संग्रह हालांकि 0.2 प्रतिशत घटकर 3.90 लाख करोड़ रुपये रहा। बजाज ने आगे कहा कि जीएसटी चोरी के खिलाफ उठाए गए कदमों से फर्जी रसीद और धोखाधड़ी से टैक्स क्रेडिट के दावे को रोकने में मदद मिली है। चल रहे वित्त वर्ष के दौरान संग्रह के बारे में पूछे जाने पर सचिव ने कहा कि इसके आंकड़े बजट में दिए गए हैं और संभवत: इस तरह की उच्च वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में फिर हासिल नहीं हो सकेगी। बजाज ने आगे कहा कि संभवत: चालू वित्त वर्ष में बजट में सीमा शुल्क संग्रह का रखा गया लक्ष्य हासिल नहीं हो पाएगा क्योंकि कीमतों में वृद्धि को देखते हुए खाद्य तेल व दलहन पर पूरी तरह आयात शुल्क बहाल किया जाना संभव नहीं होगा।
इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले वर्षों के दौरान भुगतान संबंधी बकाये को खत्म किए जाने के बाद वित्त वर्ष 2022 मं राज्यों को कर विभाजन संशोधित अनुमान (आरई) में बढ़कर 95,000 करोड़ रुपये पहुंच गया था। नायर ने कहा कि हम यह उम्मीद नहीं करते कि वित्त वर्ष 2022 में राजकोषीय घाटा संशोधित अनुमान से ज्यादा अलग होगा।

First Published - April 9, 2022 | 12:04 AM IST

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