फरवरी महीने में लगातार दूसरे महीने औद्योगिक उत्पादन में 3.6 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है, जबकि इसके पहले के महीने में 0.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इसका असर वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही की कुल आर्थिक वृद्धि पर पड़ सकता है। पिछले 6 महीने में फैक्टरी आउटपुट में यह सबसे तेज संकुचन है।
फैक्टरी आउटपुट का मापन औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर किया जाता है, जो एक साल पहले 16 महीने के उच्च स्तर 5.2 प्रतिशत पर था। यह वह महीना था, जिसके बाद मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में लॉकडाउन लगा दिया गया। आईआईपी में संकुचन की वजह फरवरी 2020 की उच्च वृद्धि दर को भी माना जा सकता है। अप्रैल-फरवरी 2020-21 में कुल मिलाकर गिरावट 11.3 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसमें 1 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। इंडिया रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि सितंबर 2020 और अक्टूबर 2020 में कई त्योहारों की वजह से ज्यादा तेजी थी और अभी भी हम टिकाऊ रिकवरी से दूर हैं।’ विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन, जिसकी सूचकांक में हिस्सेदारी तीन चौथाई होती हैै, में फरवरी महीने में 3.7 प्रतिशत का संकुचन आया है, जिसमें एक साल पहले 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। खनन गतिविधियों में 5.5 प्रतिशत संकुचन आया है।