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मौजूदा विदेश व्यापार नीति की अवधि 30 सितंबर तक बढ़ी

Last Updated- December 11, 2022 | 8:21 PM IST

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक बार फिर मौजूदा विदेश व्यापार नीति (2015-20) की अवधि 6 माह के लिए बढ़ा दी है। विदेश व्यापार में नीतिगत निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए इसे 30 सितंबर तक के लिए बढ़ाया गया है।
रूस और यूक्रेन के बीच एक महीने से चल रहे तनाव के कारण वैश्विक व्यापार में व्यवधान को के बीच यह फैसला सामने आया है।
वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए एफटीपी में नीतिगत दिशानिर्देश और रणनीतियां तय की जाती हैं। मौजूदा नीति 1 अप्रैल, 2015 से लागू की गई थी और यह 5 साल के लिए वैध धी।
बहरहाल नई विदेश व्यापार नीति टाल दी गई और मौजूदा नीति को 31 मार्च, 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया क्योंकि कोविड-19 के कारण कारोबार में व्यवधान आ गया था। इस नीति को एक बार फिर 30 सितंबर, 2021 तक के लिए बढ़ा दिया गया और उसके बाद 31 मार्च, 2022 तक के लिए बढ़ाया गया क्योंकि सरकार नई नीति लागू करने की दिशा में कुछ उल्लेखनीय फैसला नहीं कर सकी।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार निर्यातकों के लिए कोई नई योजना लाने में अभी और वक्त ले सकती है।
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने निर्यातकों के लिए लागू प्रोत्साहन आधारित कुछ योजनाओं को खत्म हो जाने दिया है। उदाहरण के लिए मर्केंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) उस समय खत्म कर दिया गया, जब विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों में कहा गया कि कुछ निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं व्यापार निकाय के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही हैं वे व्यापक रूप से वस्तुओं पर निर्यात सब्सिडी दे रही हैं। उसके बाद व्यापार का नया खाका पेश करने की घोषणा के पहले ही विश्व व्यापार संगठन के नियमों का अनुपालन करने वाली निर्यात बढ़ाने की योजना को अधिसूचित किया गया।
निर्यातक इस समय ब्याज समानीकरण योजना, ट्रांसपोर्ट सब्सिडी योजना, रिबेट आफ स्टेट ऐंड सेट्रल टैक्सेज ऐंड लेवीज (आरओएससीटीएल) और रेमिसन आफ ड्यूटीज ऐंड टैक्सेज ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (आरओडीटीईपी) जैसी योजनाओं का समर्थन पा रहे हैं।

First Published - April 1, 2022 | 12:05 AM IST

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