सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को तो आनन-फानन में लागू कर दिया, लेकिन कर्मियों के बकाए वेतन भुगतान में जल्दबाजी नहीं दिखा रही है।
ऐसे में करीब 83 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बकाया राशि की दूसरी किस्त के लिए अगस्त 2009 तक इंतजार करना पड़ सकता है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने अप्रैल 2009 में शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के चार महीनों के खर्च अनुमानों को पेश करते हुए अंतरिम बजट में इनका जिक्र नहीं किया है।
यानी संसद से एरियर भुगतान के लिए कोई अनुमति नहीं मांगी गई है। इसकी वजह से कर्मचारियों का बकाया एरियर, जो करीब 16,500 करोड़ रुपये है, उसका भुगतान नई सरकार के गठन के बाद ही हो सकता है।
सरकार की इस पहल से जहां कर्मचारी खुश नहीं हैं, वहीं उपभोक्ता वस्तु निर्माताओं की खुशी भी काफूर होती नजर आ रही है।
दरअसल, उन्हें लगता था कि कर्मचारियों के पास पैसा आने से बाजार में मांग बढ़ेगी, जिसका फायदा उन्हें होता। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नई सरकार जब संसद में बजट पेश करेगी, तभी एरियर मद में भुगतान की मंजूरी ली जाएगी।
सरकार का अनुमान है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर चालू वित्त वर्ष और आगामी वित्त वर्ष में सरकारी खजाने पर करीब 47,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। जबकि जनवरी 2006 से एरियर का भुगतान करने पर करीब 27,000 करोड़ रुपये का खर्च वहन करना होगा।
इस बीच, कंपनियां सरकार वित्तीय पैकेज की मांग कर रही है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से घरेलू मांग में भारी गिरावट आई है। औद्योगिक सूचकांक के दोनों खंडों -कंज्यूमर डयूरेबल्स और कंज्यूमर नॉन डयूरेबल्स में दिसंबर 2008 में गिरावट दर्ज की गई है।
32,000 करोड़ रुपये के घरेलू कंज्यूमर डयूरेबल्स उद्योग मांग में कमी से परेशान है। ऐसे में उसे छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से बिक्री बढ़ने की पूरी उम्मीद है। उद्योग जगत का कहना है कि एरियर के भुगतान होने से 2 टीयर और 3 टीयर के शहरों में उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में तेजी आएगी।
एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के निदेशक (बिक्री और विपणन) वी. रामचंद्रन का कहना है कि परंपरागत तौर से अतिरिक्त आय लोग उपभोक्ता वस्तुओं पर खर्च करते हैं। लेकिन सरकार के इस कदम से हमें निराशा हुई है। त्योहारी मौसम में कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कारोबार में 30-35 फीसदी साल-दर-साल इजाफा हुआ था, जबकि अन्य क्षेत्रों में गिरावट का रुख था।
वेतन के नाम पर लगती सेंध
वित्त वर्ष कर्मचारी कुल वेतन/पेंशन बिल
2007-08 31.5 लाख 44,657 करोड़ रु.
2008-09* 32.5 लाख 68,967 करोड़ रु.
2009-10** 32.9 लाख 85,073 करोड़ रु.
*संशोधित अनुमान
**बजटीय अनुमान
इनमें सेना के कर्मचारियों का वेतनपेंशन शामिल नहीं है