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बढ़ सकती है जीएसटी की सबसे निचली दर

Last Updated- December 11, 2022 | 8:53 PM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की शीर्ष नीति-निर्धारक इकाई जीएसटी परिषद की अगली बैठक में सबसे निचली कर दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत करने पर विचार कर सकती है। इसके अलावा राजस्व बढ़ाने और क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र पर राज्यों की निर्भरता खत्म करने के लिए जीएसटी प्रणाली में छूट वाले उत्पादों की सूची में भी काट-छांट की जा सकती है। सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक समिति जीएसटी परिषद को इस माह के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकती है जिसमें सबसे निचले कर स्लैब को बढ़ाने और स्लैब को तर्कसंगत बनाने जैसे कई कदमों के सुझाव दिए जाएंगे। अभी जीएसटी में चार-स्तरीय कर ढांचा है जिसमें कर की दर पांच फीसदी, 12, 18 और 28 फीसदी है। आवश्यक वस्तुओं को या तो इस कर से छूट प्राप्त है या फिर उन्हें सबसे निचले स्लैब में रखा जाता है जबकि लग्जरी वस्तुओं को सबसे ऊपरी कर स्लैब में रखा जाता है।
सूत्रों के मुताबिक मंत्री समूह कर की दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी करने का प्रस्ताव रख सकता है जिससे सालाना 1.50 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है। निचले स्लैब में एक फीसदी की वृद्धि करने पर सालाना 50,000 करोड़ रुपए का राजस्व लाभ होगा, इस स्लैब में पैकेटबंद खाद्य पदार्थ आते हैं।
कर प्रणाली को तर्कसंगत बनाने के लिए मंत्री समूह इसका ढांचा तीन स्तरीय करने पर भी विचार कर रहा है जिसमें कर की दर 8, 18 और 28 फीसदी रखी जा सकती है। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो 12 फीसदी के दायरे में आने वाले सभी उत्पाद एवं सेवाएं 18 फीसदी के स्लैब में आ जाएंगी। इसके अलावा मंत्री समूह जीएसटी से छूट प्राप्त वस्तुओं की संख्या कम करने का भी प्रस्ताव देगा। अभी बिना ब्रांड वाले और बिना पैकेज वाले खाद्य पदार्थ और डेयरी वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। सूत्रों ने बताया कि जीएसटी परिषद की बैठक इस महीने के अंत में या अगले महीने की शुरुआत में हो सकती है।

First Published - March 6, 2022 | 11:49 PM IST

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