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भारत में मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार और ग्लोबल वैल्यू चेन में हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत: सीतारमण

India Manufacturing Growth: 2047 तक ​भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में निजी क्षेत्र की होगी अहम भूमिका

Last Updated- May 17, 2024 | 11:39 PM IST
भारत में मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार और ग्लोबल वैल्यू चेन में हिस्सेदारी बढ़ाने की जरूरत: सीतारमण, India must increase manufacturing and its share in global value chains: FM

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश में विनिर्माण क्षेत्र को रफ्तार देने की जरूरत बताई है। उन्होंने आज कहा कि वै​श्विक मूल्य श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ानी है और सरकार की नीतियों का सहारा लेकर आत्मनिर्भर बनना है तो देश को अपने विनिर्माण क्षेत्र की रफ्तार और क्षमता भी बढ़ानी होगी।

सीतारमण ने कहा, ‘कुछ अर्थशास्त्रियों की सलाह है कि भारत को अब विनिर्माण पर ध्यान नहीं देना चाहिए या विनिर्माण में तेजी नहीं लानी चाहिए लेकिन मैं इसका एकदम उलटा सोचती हूं। मेरा जोर इसी बात पर है कि विनिर्माण में वृद्धि होनी चाहिए।’ भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कुछ अर्थशा​स्त्रियों ने हाल ही में कहा था कि भारत को विनिर्माण के बजाय सेवा क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए। उनका कहना है कि देश ने सेवा क्षेत्र में मौका गंवा दिया है।

भारतीय उद्योग परिसंघ के सालाना बिज़नेस सम्मेलन में सीतारमण ने कहा कि विकास के कार्यक्रमों में सरकार निजी क्षेत्र को बतौर भागीदार देख रही है और मानती है कि देश को 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने में इस क्षेत्र को बड़ी भूमिका निभानी है। उन्होंने कहा, ‘हम निजी क्षेत्र की बहुत बड़ी भूमिका देखते हैं और चाहते हैं कि विकास में वे सरकार के साथ साझेदारी करें। सरकार इसमें सुविधा प्रदान करने वाले पक्ष की भूमिका निभा रही है।’

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की निरंतर और ​स्थिर वृद्धि की बुनियाद में नीतिगत ​स्थिरता, नीतियों में बार-बार बदलाव नहीं होना और भ्रष्टाचार के बगैर निर्णय समाए हैं। उन्होंने कहा कि भारत को 30 साल तक अपनी आबादी की बनावट का फायदा मिलता रहेगा। वित्त मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि भारत 2023 से अगले 5 साल तक वै​श्विक वृद्धि में 18 फीसदी योगदान देगा।

उन्होंने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने में मदद मिली है। सीतारमण ने कहा, ‘2014 में 78 फीसदी जरूरत आयात से पूरी हो रही थी मगर आज देश में बिकने वाले 99 फीसदी मोबाइल फोन मेड इन इंडिया ही होते हैं।’

आईफोन बनाने वाली ऐपल का उदाहरण देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन विनिर्माण में मूल्यवर्द्धन 20 फीसदी के पार चला गया है, जो 2014-15 में नहीं के बराबर था। वित्त मंत्री ने मई में जारी कैपजेमिनाई रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि चीन पर निर्भरता घटाने की संभावना तलाश रहे यूरोप और अमेरिका के कंपनी प्रमुखों की निवेश सूची में भारत सबसे ऊपर है।

First Published - May 17, 2024 | 11:24 PM IST

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