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अमेरिका संग करार में नहीं कोई विवाद

Last Updated- December 12, 2022 | 8:47 AM IST

वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने आज कहा कि भारत और अमेरिका के बीच लघु कारोबारी समझौते पर चर्चा जारी है और मोटे तौर पर सभी विवादास्पद बिंदुओं का समाधान कर लिया गया है।
वधावन ने रिपोर्टरों से कहा, ‘विवाद वाले बिंदुओं का मोटे तौर पर समाधान हो चुका है। विवाद वाला कोई बिंदु नहीं है… द्विपक्षीय चर्चा हमेशा जारी रहती है, यह कभी समाप्त नहीं होती… इस करार की स्थिति बहुत अच्छी है।’
उन्होंने कहा किसी भी द्विपक्षीय संबंध में प्रयास हमेशा मुद्दों का शीघ्र अति शीघ्र समाधान का होता है। ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि पिछले महीने जो बाइडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद प्रस्तावित लघु समझौता को ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है क्योंकि उन्हें अन्य अतिआवश्यक कामों पर ध्यान देना है। दोनों देश कुछ निश्चित मुद्दों के समाधान के लिए और दोनों तरफ से वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए एक कारोबारी पैकेज पर चर्चा कर रहे हैं। भारत ने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंसेज (जीएसपी) के तहत कुछ निश्चित घरेलू उत्पादों को निर्यात लाभ फिर से देने की शुरुआत करने और कृषि, वाहन, वाहन पुर्जों और इंजीनियरिंग क्षेत्र के अपने उत्पादों के लिए बड़ी बाजार पहुंच देने की मांग की है। दूसरी ओर अमेरिका अपने कृषि और विनिर्माण उत्पादों, डेयरी उत्पादों और चिकित्सा उपकरणों के लिए बड़े बाजार की पहुंच, डेटा का स्थानीयकरण और कुछ सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उत्पादों पर आयात शुल्कों में कटौती चाहता है। अमेरिका ने भारत के उच्च राजकोषीय घाटा पर भी चिंता जताई है।  
इक्वलाइजेशन लेवी
वधावन ने देश का रुख दोहराते हुए कहा कि यह संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) की इस रिपोर्ट से सहमत नहीं है कि भारत द्वारा विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों पर दो फीसदी का इक्वलाइजेश लेवी (डिजिटल कर) अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है।
पिछले महीने यूएसटीआर की जांच कहा गया था कि ई-कॉमर्स आपूर्ति पर कर अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभाव करना है और यह अंतरराष्ट्रीय कर सिद्घांतों के प्रतिकूल है। वधावन ने कहा, ‘हम इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मूलरूप से यदि किसी निश्चित क्षेत्राधिकार से आर्थिक लाभ हो रहा है तब उस क्षेत्राधिकार में कुछ काराधान होना चाहिए… ओईसीडी (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) भी उसी दिशा में बढ़ रहा है कि यदि आपकी एक आर्थिक उपस्थिति है और आर्थिक लाभ है तो आपको उस अधिकार क्षेत्र में निश्चित तौर पर कर लगाना चाहिए। किसी खास अधिकार क्षेत्र में आपको अरबों डॉलर का राजस्व मिल रहा है तो आपको कर देना होगा।’
उन्होंने कहा कि कुछ देश इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि उस प्रकार की गतिविधियों में उनका काफी बर्चस्व है चाहे वह फेसबुक, गुगल या एमेजॉन हो। एक समय के बाद उस क्षेत्र में जब दूसरे देशों की उपस्थिति होगी तब जो आज विरोध कर रहे हैं वही इस प्रकार का कर वसूलना शुरू कर देंगे।
बजट और निर्यात
वधावन ने कहा कि निर्यात जोर पकड़ रहा है और शीघ्र ही कोविड से पूर्व के स्तर पर पहुंच जाएगा। जनवरी में निर्यात में 5.4 फीसदी की वृद्घि हुई जबकि दिसंबर में इसमें 0.14 फीसदी का इजाफा हुआ था। समूचे 2020 में निर्यात केवल फरवरी, सितंबर और दिसंबर तीन महीनों ही बढ़ा था। वधावन ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था का पुननिर्माण कर रही है जिससे उन सभी संभावना को पाने में मदद मिलेगी जिसे अभी तक हासिल नहीं किया जा सका है। उन्होंने इसके लिए उत्पादन से जुड़ी योजना और बजट में घोषित उपायों का जिक्र किया। वधावन ने बजट में सीमा शुल्क में बदलावों को लेकर कहा कि उल्टे शुल्क ढांचे को खत्म किया जाना चाहिए और हमारे निर्यात की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए।

First Published - February 3, 2021 | 11:45 PM IST

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