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मुद्रास्फीति में फिलहाल सुधार के कोई आसार नहीं: रेड्डी

Last Updated- December 07, 2022 | 11:42 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर वाईवी रेड्डी को सबके लिए परेशानी का सबब बन रहीं बढ़ती कीमतों की स्थिति में निकट भविष्य में किसी करिश्माई बदलाव की उम्मीद नहीं है।


सांसदों के साथ आरबीआई के गवर्नर की तीन घंटे चली बैठक के बाद एक सांसद ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस समय मुद्रास्फीति जनित मंदी के शिकंजे में है। किसी अर्थव्यवस्था के लिए यह वह अवस्था है जब मुद्रास्फीति की उच्च दर और धीमी विकास की दर एक साथ हो जाती है।

यूरो जोन में मुद्रास्फीति की दर 4 फीसदी थी। इसकी दर में तेजी से कमी आने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि जारी वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 10 फीसदी से अधिक बनी रहेगी, जबकि विकास की दर 8.5-9.0 फीसदी से गिरकर 7.5 फीसदी पर आ जाएगी।

रेड्डी और डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन संसद की स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष मुद्रास्फीति की स्थिति और रिजर्व बैंक द्वारा इसे काबू में लाने के लिए किए गए उपायों और मुद्रास्फीति पर काबू पाने की धुंधली उम्मीदों पर विचार व्यक्त किए। बैठक में कुछ सदस्यों सवाल किए कि क्यों भारत में मुद्रास्फीति दो अंकों तक पहुंच गई और पश्चिम इसे 3 से 4 फीसदी तक रखने में कामयाब है।

रेड्डी ने कहा कि भारत की पश्चिम के विकसित देशों से तुलना उचित नहीं है, फिर इसको लेकर भारत की स्थिति कई विकासशील देशों से अच्छी है। भाजपा के अनंत कुमार की अध्यक्षता वाली इस समिति के सदस्यों ने ब्याज दरों के बढ़ने से होम लोन के ग्राहकों पर बढ़ते बोझ और दरों के बढ़ने के बाद भी मुद्रास्फीति की स्थिति में सुधार न होने पर अपनी चिंताएं जताई। आरबीआई 29 जुलाई को अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है।

First Published - July 16, 2008 | 10:33 PM IST

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