सरकारी दावों को खोखला साबित करते हुए तेल कंपनियों के अफसरों की हड़ताल कारोबार जगत के खेल को बिगाड़ने में पूरी तरह सफल रही।
पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति बाधित होने से पेट्रोल पंपों से लेकर उद्योग जगत खास कर लघु व मझोले उद्योगों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
पेट्रोल पंप : देश भर में कुल 38650 पेट्रोल पंप है और 70 फीसदी पेट्रोल पंप तेल कंपनियों के अफसरों की हड़ताल की चपेट में आ गए।
हर पेट्रोल पंप के कम से कम एक लाख रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ। इस लिहाज से एक पेट्रोल पंप के कारोबार में दो दिनों में 15 लाख रुपये की कमी आयी।
देश भर के आंकड़ों को देखे तो पेट्रोल व डीजल के एक अरब रुपये से अधिक का कारोबार हड़ताल के कारण नहीं हो पाया।
उद्योग: हड़ताल के कारण लघु व मझोले उद्योग अपने नुकसान का सही आकलन तो नहीं कर पाए हैं लेकिन नोएडा व दिल्ली की सैकड़ों इकाइयों में शुक्रवार को ‘गुडविल हॉलीडे’ करना पड़ा।
इकाइयों के उत्पादन में कटौती की गयी। उद्यमियों को बिजली कटौती के दौरान डीजल नहीं मिलने के कारण भी उत्पादन बंद करना पड़ा।
ग्रेटर नोएडा एसोसिएशन के पदाधिकारी आदित्य घिल्डयाल कहते हैं, ‘उत्पादन नहीं हुआ लेकिन बाकी सारे खर्च जारी रहे। एक इकाई में कर्मचारियों के वेतन के साथ यह खर्च न्यूनतम 10,000 भी मान लिया जाए तो यहां की सैकड़ों औद्योगिक इकाइयों को होने वाले घाटे का अनुमान लगाया जा सकता है।’
ट्रांसपोर्ट::लाइट गुड्स व्हीकल्स ओनर एसोसिएशन के मुताबिक एक हल्का वाहन रोजाना 1500-2000 रुपये का कारोबार करते हैं। उन्हें 400-500 रुपये की कमाई होती है। डीजल की किल्लत से ऐसे सैकड़ों छोटे वाहनों को शुक्रवार को अपना काम बंद करना पड़ा।
शुक्रवार का दिन सरकार के लिए खासा चुनौती भरा रहा। हड़ताल कर रहे तेल कंपनियों के अधिकारियों के साथ-साथ उसे ट्रक हड़तालियों से भी जबरदस्त रस्साकशी करनी पड़ी।
इस रस्साकशी में बुरी तरह से पिस रही जनता और कारोबारी जगत के मद्देनजर उसने बेहद कड़े कदम उठाए, जिसके अच्छे नतीजे अंतत: उसे मिलने लगे।
देर शाम पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने ऐलान किया कि तेल हड़ताल लगभग खत्म हो गई है और अगले 48 घंटों में हालात सामान्य हो जाएंगे।
हड़तालियों को मनाने की कोशिशों का नतीजा चाहे जो भी हो, लेकिन हड़तालियों और सरकार के बीच हुई इस जंग में कौन डाल-डाल रहा और कौन पात-पात, यह जानना भी महत्वपूर्ण हो जाता है। आइए जानते हैं, कैसे चला दिनभर यह रस्साकशी का खेल :
दो पाटन के बीच में साबुत बचा न…
दिल्ली में करीब 30 प्रतिशत पेट्रोल पंप और मुंबई में लगभग 100 पंपों पर पेट्रोल और डीजल हुआ खत्म
एलपीजी की किल्लत से घरों में खाना तक बनाने में रही मुश्किल, डीजल-पेट्रोल नहीं मिलने से वाहनों के चक्के थमे और गैस नहीं मिलने से उर्वरक और बिजली संयंत्रों पर गहराए संकट के बादल।
एटीएफ भरने में देरी से विमान उड़ानों पर पड़ने लगा गंभीर असर।
मुंबई में सीएनजी पंपों पर गैस हुई खत्म। दिल्ली में भी सीएनजी संकट के आसार बने।
मथुरा में तेलशोधक कारखाने की सभी इकाइयां बंद होने की कगार पर पहुंची।
मुंबई ऑफशोर में ओएनजीसी का तेल उत्पादन 50 फीसदी गिरा गया
राज्यों की परिवहन सेवाएं और सार्वजनिक परिवहन सेवाएं चरमराईं। ऑटो-टैक्सी चालकों ने बढ़ाया किराया।
आवश्यक वस्तुओं के साथ-साथ जीवन रक्षक दवाओं के संकट की आशंका हुई तेज।
बिजली बनाने वाले सबसे बड़े उपक्रम एनटीपीपी के गैस और नाफ्था दोनों ईंधनों से चलने वाले सात में से छह संयंत्रों में गैस खत्म हुई।
उन्हें नाफ्था पर चलाया जा रहा है। नाफ्था का स्टॉक भी महज तीन दिन का शेष। इस्पात इंडस्ट्रीज ने स्पोंज आयरन संयंत्र को बंद किया।
सरकार बोली, जोर लगाकर…
रिफाइनरियों का परिचालन करने के लिए बुलाई सेना
प्रधानमंत्री, चिदंबरम और देवड़ा ने की हड़ताल वापसी की अपील
चिदंबरम के नेतृत्व में तेल और ट्रक हड़ताल से निपटने के लिए समूह बना
सभी राज्यों को हड़तालियों से सख्ती से निपटने के निर्देश
तुरंत बातचीत का दिया न्यौता
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में संकट प्रबंधन समूह की बैठक में लिए गए कड़े फैसले
दिल्ली, असम, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र ने लागू किया एस्मा
हड़ताली ट्रक ऑपरेटरों की भी एस्मा के तहत धर-पकड़ तेज, वाहनों को जब्त करने की चेतावनी
आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए 15 से 20 लाख निजी वाहन चलवाने की योजना बनाई
किसने टेके घुटने
भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, गेल, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के अधिकारियों के संगठन ने हड़ताल वापस ली।
कितना था भंडार
देश में पेट्रोल का भंडार 20 दिन, डीजल का 14 दिन और रसोई गैस का 12 दिनों का भंडार सुरक्षित है।
क्या रही अड़ने की वजह
तेल कंपनियों के अधिकारी अपने वेतन में तत्काल बढ़ोतरी किए जाने की मांग पर अड़े रहे।
हड़ताली अधिकारी अंतिम व्यवस्था से पहले वेतन में बढ़ोतरी के लिए तत्काल अंतरिम कदम उठाने पर जोर दे रहे थे। ट्रकर्स सरकार से डीजल की कीमतों में कमी और सेवा शुल्क में कटौती की मांग पर अड़े रहे।
हड़ताल कर अर्थव्यवस्था को पंगु बनाना ठीक नहीं है। आम जनता की तकलीफ को समझें अधिकारी। ट्रक मालिकों की हड़ताल भी जनता के खिलाफ है।
यह भी तेल हड़ताल की श्रेणी में आती है। हड़ताली चाहें तो तुरंत बातचीत के लिए तैयार हैं हम। हालात नहीं संभले तो हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
पी. चिदंबरम
केन्द्रीय गृहमंत्री
हमने समझाने-बुझाने की हर कोशिश कर ली है। अब भी जो अधिकारी शनिवार और रविवार को काम पर वापस नहीं आए उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा।
ऐसे अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी और आरोप पत्र जारी करने जैसे प्रशासनिक कदम भी उठाए जाएंगे। बेहतर यही होगा कि हड़ताली काम पर लौट आएं।
सार्थक बेहुरिया
इंडियन ऑयल के अध्यक्ष