दूरसंचार मंत्रालय ने 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में वित्त मंत्रालय के सुझाव के बाद उठे विवाद को दूर करने के लिए एक नया रास्ता सुझाया है।
दूरसंचार मंत्रालय का कहना है कि वह वित्त मंत्रालय के साथ सलाह- मशविरा के बाद ऐसे सर्किलों में नीलामी प्रक्रिया को रद्द करने के लिए अपने अधिकारों का उपयोग करेगी, जहां बोली की रकम आरक्षित कीमत से अधिक होने के बावजूद सरकार के अनुमानित राजस्व से कम होगी।
स्पेक्ट्रम के हर ब्लॉक के लिए सरकार कितने राजस्व की अपेक्षा कर रही है, यह वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर तय किया जाएगा। यह रकम पूरे देश भर के स्पेक्ट्रम ब्लॉक के लिए एक सी होगी। सरकार ने मौजूदा खिलाड़ियों के साथ साथ नए खिलाड़ियों के बीच चार लाइसेंस की पेशकश की है।
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में सुझाव दिया था कि 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य को 2020 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4040 करोड़ रुपये कर दिया जाना चाहिए। यह रकम स्पेक्ट्रम के उस लाइसेंस के लिए है, जिसे पूरे भारत के लिए जारी किया गया हो।
वित्त मंत्रालय ने दूरसंचार मंत्रालय से उन शर्तों में बदलाव लाने को कहा था जिनका उल्लेख विवरणिका में है। साथ ही विभाग की ओर से नीतियों में फेरबदल करने का सुझाव भी दिया गया था।
3 जी नीति को लेकर तैयार किए गए अंतिम प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी दी जानी है, पर ऐसी आशंका जताई जा रही है कि विभिन्न मंत्रालयों के बीच इस नीति को लेकर उठे विवाद के कारण इसे ठंडे बस्ते में डाला जा सकता है।
दरअसल, वित्त मंत्रालय को यह डर था कि आरक्षित मूल्य कम होने से सरकार को महंगे स्पेक्ट्रम भी सस्ते दाम में बेचना पड़ सकता है और इसी वजह से उसने दूरसंचार मंत्रालय को आरक्षित मूल्य दोगुना करने का सुझाव दिया था।
अगर स्पेक्ट्रम की नीलामी कम कीमत पर होती है तो सरकार फिलहाल नीलामी से 30,000 से 40,000 करोड़ रुपया उगाहने की जो उम्मीद बांधे बैठी है, वह पूरी नहीं हो सकेगी।
दूरसंचार मंत्रालय का कहना था कि अगर इस सुझाव को मान लिया जाता है तो 3 जी सेवाएं महंगी हो जाएंगी और यह भी मुमकिन है कि सरकार कुछ लाइसेंस बेच ही नहीं पाए।
मंत्रालय की दलील थी कि मौजूदा 3 जी नीतियों के तहत उसके पास यह अधिकार है कि अगर सरकार जितने राजस्व की अपेक्षा कर रही है, उतना नहीं मिल पा रहा हो तो वह लाइसेंस के लिए अधिकतम बोली को भी ठुकरा सकती है।
अपनी बात को रखने के लिए दूरसंचार मंत्रालय ने सूचना विवरणिका के उपबंध 11 का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है, ‘सरकार को यह अधिकार है कि वह बिना कारण बताए नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर सकती है या फिर बोली लगाने वाले किसी पक्ष को अयोग्य ठहरा सकती है।’
मंत्रालय ने एक बार फिर से साफ किया है कि अगर इस तरह का कोई कदम उठाया जाता है तो इसके पहले वित्त मंत्रालय से सलाह ली जाएगी।
दूरसंचार मंत्रालय ने यह भी कहा है कि नीलामी के लिए जो आरक्षित मूल्य तय किया गया है वह वैश्विक कीमत के अनुरूप ही है।