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कार्यस्थलों की यात्रा और बिजली उत्पादन में इजाफा

Last Updated- December 12, 2022 | 3:01 AM IST

कोविड के घटते मामलों के बीच आर्थिक गतिविधियों के साप्ताहिक संकेतक तेजी का रुख दिखा रहे हैं। बिजली उत्पादन वर्ष 2019 की तुलना में धीरे-धीरे तेज होते हुए दो अंकों के सुधार के करीब पहुंच रहा है, दूसरी ओर आवागमन एक बार फिर इजाफे का संकेत दे रहा है। यातायात और उत्सर्जन जैसे अन्य संकेतक भी सुधार के संकेत दे रहे हैं, हालांकि देश के कुछ हिस्सों में ये संकेत अन्य हिस्सों के मुकाबले अधिक हैं।
रविवार 4 जुलाई को समाप्त होने वाले सप्ताह में सात दिनों के औसत आधार पर भारत में 431.2 करोड़ यूनिट बिजली उत्पन्न हुई, क्योंकि गर्मी में तापमान बढ़ गया था और धान की बुआई के मौसम के कारण सिंचाई की मांग में इजाफा हो गया। विश्लेषकों का मानना ​​है कि पिछले सप्ताह बिजली की मांग भी बढ़ी है, क्योंकि देश के अधिकांश हिस्सों में आर्थिक गतिविधियों पर कोविड -19 की पाबंदियां खत्म हो गईं तथा कई उद्योग पिछली मांग पूरी करने के लिए उत्पादन में तेजी ला रहे हैं। नवीनतम सप्ताह के आंकड़े वर्ष 2019 में इसी अवधि की तुलना में 7.5 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2020 के मुकाबले सुधार अधिक है।
कार्यस्थल पर आना-जाना करीब 75 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया है। यह सर्च इंजन गूगल की गतिशीलता के आंकड़ों पर आधारित है, जो लोगों के आवागमन पर नजर रखता है। ये आंकड़े कुछ अंतराल के साथ जारी किए जाते हैं। नवीनतम आंकड़े 30 जून तक के हैं। किराना और फार्मेसी सहित आवश्यक खरीदारी के लिए की जाने वाली यात्रा का स्तर सामान्य से 11.6 प्रतिशत अधिक है। खुदरा और मनोरंजन संबंधी यात्राओं में अब भी 32 प्रतिशत की गिरावट है।
बड़े शहरों में यातायात की भीड़-भाड़ भी बढ़ गई है। नई दिल्ली का यातायात सामान्य स्थिति के 63 प्रतिशत स्तर पर लौट आया है। मुंबई का यातायात 52 प्रतिशत स्तर पर है। यातायात की भीड-भाड़ के ये आंकड़े स्थिति की जानकारी देने वाली वैश्विक प्रौद्योगिकी फर्म टॉमटॉम इंटरनैशनल के आंकड़ों पर आधारित है। पिछले एक पखवाड़े के दौरान नई दिल्ली के यातायात में सुधार ने मुंबई के सुधार को पीछे छोड़ रखा है।
भारतीय रेलवे ने पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 4 जुलाई को समाप्त होने वाले सात दिनों में 26.5 प्रतिशत अधिक माल ढुलाई की है। माल ढुलाई से होने वाली आमदनी 26.8 प्रतिशत बढ़ी है। ये दोनों ही आंकड़े पिछले सप्ताह की तुलना में अधिक हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन पर भी नजर रखता है। यह प्रदूषक औद्योगिक गतिविधि और वाहनों से पैदा होता है। वर्ष 2020 में जब देश में लॉकडाउन हुआ था, तो इसके स्तर में गिरावट आ गई थी। दिल्ली का उत्सर्जन अब सात दिनों के औसत के आधार पर वर्ष 2019 वाले स्तर से केवल तीन प्रतिशत ही कम है। मुंबई का उत्सर्जन भी वर्ष 2019 के स्तर से कम है।
गूगल के गतिशीलता वाले आंकड़ों को छोड़कर, शेष सभी आंकड़े 4 जुलाई तक के हैं। इसके आंकड़े कुछ समय बाद जारी किए जाते हैं और नवीनतम आंकड़े 30 जून के हैं। वर्तमान में अर्थव्यवस्था का क्या हाल है, इस बात की थाह लेने के लिए बिज़नेस स्टैंडर्ड आर्थिक सुधार के इन साप्ताहिक संकेतकों पर एक साधन के रूप में निगाह रखता है।
विस्तृत अर्थव्यवस्था के आधिकारिक आंकड़े आम तौर पर कुछ अंतराल के बाद जारी किए जाते हैं। वैश्विक स्तर पर भी विश्लेषक इसी प्रकार के संकेतकों पर निगाह रख रहे हैं, क्योंकि विभिन्न देशों ने कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन किया हुआ है।
भारत में कोविड-19 के दैनिक मामलों की संख्या 4 जुलाई तक गिरकर 50,000 से कम हो चुकी है। मई की शुरुआत में यह संख्या 4,00,000 से अधिक थी।

First Published - July 5, 2021 | 11:04 PM IST

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