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UBS ने भारत की FY26 GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 6.4% किया, रेपो रेट में कटौती की जताई संभावना

UBS ने मांग में मजबूती, व्यापार तनाव में नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण यूबीएसी ने जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान को अपडेट किया है।

Last Updated- June 03, 2025 | 1:52 PM IST
Indian Economy GDP

ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस कंपनी यूबीएसी (UBS) ने भारत की FY26 की रियल जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) का अनुमान 6% से बढ़ाकर 6.4% कर दिया है। मार्च 2025 तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन और लचीलापन देखते हुए यूबीएस ने यह वृद्धि की है।

यूबीएसी के इंडिया कॉम्पोज़िट इकोनॉमिक इंडिकेटर (CEI) के अनुसार, अप्रैल में आर्थिक गति बरकरार रही। मौसमी रूप से समायोजित इंडेक्स में मासिक आधार पर 1.1% की वृद्धि दर्ज की गई। यह मार्च तिमाही के औसत के करीब है। इससे यह संकेत मिलता है कि आर्थिक गतिविधि स्थिर बनी हुई है।

मांग में मजबूती, व्यापार तनाव में नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण यूबीएसी ने जीडीपी ग्रोथ रेट अनुमान को संशोधित किया है। यूबीएसी सिक्योरिटीज की चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन के अनुसार, यह संशोधन कई कारकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इसमें घरेलू मांग में मजबूती, वैश्विक व्यापार तनाव में संभावित कमी और कच्चे तेल की कम कीमतों से मिल रहा समर्थन जैसे पहलू शामिल हैं।

जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ाने की वजह?

यूबीएसी का यह अपडेटेड अनुमान इस उम्मीद पर आधारित है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे मानसून और खाद्य पदार्थों की कम कीमतों के चलते घरेलू खर्च में सुधार होगा। शहरी मांग में भी सुधार की संभावना है। खासकर यदि सरकार टैक्स में कटौती या महंगाई पर नियंत्रण जैसी राहत प्रदान करती है।

यह आउटलुक इस बात पर भी निर्भर करता है कि वैश्विक व्यापार तनाव और नहीं बढ़ेंगे और कच्चे तेल की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। यूबीएस को वित्त वर्ष 2025-26 में कच्चे तेल की औसत कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल रहने की उम्मीद है। हालांकि, निवेश वृद्धि को लेकर जोखिम अभी भी बरकरार हैं। वैश्विक अनिश्चितता, कुछ राज्यों की बजट सीमाएं और पिछले वर्ष हाउसिंग में तेज़ वृद्धि के चलते कैपिटल एक्सपेंडिचर में सुस्ती देखी जा सकती है।

भारत की रियल जीडीपी Q4 में 7.4% बढ़ी

यह संशोधन ऐसे समय आया है जब हाल ही में जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में भारत की रियल जीडीपी सालाना आधार पर 7.4% बढ़ी। यह एक साल में सबसे तेज़ वृद्धि रही। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूरे वर्ष की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5% रही। यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6.6% के अनुमान से थोड़ी कम है। इस अवधि में नॉमिनल जीडीपी 9.8 फीसदी बढ़कर ₹330.68 लाख करोड़ हो गया।

मार्च तिमाही में यह वृद्धि मुख्य रूप से आयात में तेज़ गिरावट (जिससे नेट एक्सपोर्ट में सुधार हुआ) और फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन में रिकवरी की वजह से रही। हालांकि, निजी उपभोग की वृद्धि थोड़ी सुस्त रही और सरकारी खर्च में गिरावट दर्ज की गई। ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) के आधार पर अर्थव्यवस्था ने मार्च तिमाही में 6.8% की वृद्धि दर्ज की। इसे निर्माण, मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों से समर्थन मिला।

RBI से ब्याज दरों में 0.50% से 0.75% कटौती की उम्मीद

यूबीएसी ने मॉनेटरी नीति के मोर्चे पर उम्मीद जताई है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस वर्ष 50 से 75 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। इससे रेपो रेट (Repo Rate) घटकर 5.5% तक आ सकता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक का नतीजे शुक्रवार, 6 जून को जारी किए जाएंगे।

यूबीएस ने रिपोर्ट में कहा, “भारत के मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता जोखिम अब भी काफी हद तक नियंत्रण में हैं। वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बीच हमें उम्मीद है कि भारत की वृद्धि को बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीति प्रमुख भूमिका निभाएगी।”

रिपोर्ट में यह भी अनुमान जताया गया है कि केंद्र सरकार पूंजीगत व्यय पर अपना फोकस बनाए रखेगी। साथ ही सर्विस एक्सपोर्ट को बाहरी वातावरण से समर्थन मिलता रहेगा। हालांकि, वस्तुओं के निर्यात को वैश्विक व्यापार के संकट जैसी कारणों से चुनौतियां मिल सकती है।

First Published - June 3, 2025 | 1:52 PM IST

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