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भारतीय हवाई अड्डों पर यूडीएफ शुल्क अन्य देशों से ज्यादा

Last Updated- December 05, 2022 | 4:29 PM IST

भारत में हवाई अड्डों के विकास और उनके निर्माण कार्य में लगी कंपनियों ने हवाई अड्डों का इस्तेमाल करने पर उच्च शुल्क का प्रावधान किया है जबकि दुनिया के बेहतरीन हवाई अड्डों पर काफी कम सेवा शुल्क का भुगतान करना पड़ता है।


हवाई अड्डा प्रशासन यह शुल्क प्रयोगकर्ता विकास शुल्क (यूडीएफ) के रुप में लेता है।
यूडीएफ को अन्य देशों में हवाई अड्डा विकास शुल्क या प्रस्थान शुल्क भी कहा जाता है। यह शुल्क विकासकर्ता आधुनिकीकरण में किये गये भारी निवेश से धीरे-धीरे निजात पाने के लिये किया जाता है।
यह उन सभी हवाई अड्डों में लिया जाता है जिनका आधुनिकीकरण किया जा रहा है इनमें न्यूजीलैंड के ऑकलैंड और आयरलैंड के डबलिन जैसे हवाई अड्डे भी शामिल हैं। ज्यादातर सभी कनाडा और ब्राजील के हवाई अड्डे यह शुल्क यात्रियों से आधुनिकीकरण के नाम पर लेते हैं।
भारत में इस विषय में विवाद पैदा हो गया है क्योंकि बेंगलुरु और हैदराबाद जिनका कि विकास पब्लिक और प्राइवेट साझेदारी के तहत किया गया है,में हवाई अड्डा प्रशासन ने प्रत्येक घरेलू यात्रियों के लिये 750 रुपये और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिये 950 से 1000 रुपये शुल्क के रुप में निर्धारित किया है।


सस्ती हवाई यात्रा कराने वाली विमानन कंपनियों ने इसके खिलाफ विशेष तौर से आवाज उठाई है क्योंकि इस शुल्क के कारण किराये में एक-तिहाई से लेकर आधे तक की वृध्दि हो जाती है। हैदराबाद के नये हवाई अड्डे का वाणिज्यिक परिचालन अगले हफ्ते से शुरु होगा जबकि बेंगलुरु हवाई अड्डे का परिचालन मार्च के अंत तक प्रारंभ होगा।
इसकी तुलना में बैंकाक के सुवर्णभूमि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जो हर साल दो करोड़ यात्रियों का प्रबंध करता है। इस हवाई अड्डे में काफी कम फीस यात्रियों से आधुनिकीकरण शुल्क के रुप में ली जाती है।


जबकि इस हवाई अड्डे के प्रशासन ने पिछले साल ही घरेलू यात्रियों के शुल्क में दो गुनी और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से लिये गये शुल्क में तीन गुनी की बढ़ोतरी की थी।
भारतीय हवाई अड्डों के विकासकर्ता यह कहकर बचाव करते हैं कि हवाई अड्डों में निवेशित पूंजी बहुत अधिक है जबकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की अपेक्षा यात्री आधार बहुत कम है।
जीएमआर गु्रप जिसने हैदराबाद हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण किया है और  दिल्ली  हवाई अड्डे का भी आधुनिकीकरण कर रही है, के एक वरिष्ठ कार्यकारी का कहना है कि हमारे शुल्क इसलिये अधिक है क्योंकि हमने एक बड़ी पूंजी का निवेश किया है।


 यूडीएफ पहले साल अधिक रहेगा लेकिन धीरे-धीरे इसमें कमी आयेगी और बाद में इसे स्थिर कर दिया जायेगा। हमनें बहुत कम यात्री संख्या वाले हैदराबाद हवाई अड्डे से परिचालन शुरु कर दिया है जिसके सालाना यात्रियों की संख्या मात्र 70 लाख है जबकि सुवर्णभूमि हवाई अड्डे के यात्रियों की संखया तीन करोड़ की अपेक्षा बहुत कम है।
विकासकर्ताओं का कहना है कि नार्विक और डबलिन हवाई अड्डे की तरह हैदराबाद और बेंगलुरु के हवाई अड्डे भी ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है जिनको कि पहले ही दिन से राजस्व नहीं मिलता है।
हालांकि कुछ विमानन कंपनियों जैसे जेट एयरवेज और एयर डेक्कन ने संकेत दिया है कि वे उन स्थानों के लिये अपनी उड़ानें कम कर देंगी जहां कि इस तरह का शुल्क अधिक होगा।
इन दबावों के बीच जीएमआर ने घोषणा कर दी है कि कुछ समय के लिये घरेलू यात्रियों को किसी भी प्रकार का यूडीएफ नहीं देना पडेग़ा।


विमानन मंत्रालय ने बेंगलुरु हवाई पत्तन का विकासकर्ताओं से अनुरोध किया है, उन्हें कम से कम घरेलू यात्रियों के लिये यूडीएफ को आनुपातिक रुप से कम करना चाहिये।
इन सब के बीच कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एचएएल हवाई अड्डे की बंदी का विरोध करने वाली जनहित याचिका को 10 मार्च तक स्थगित कर दिया है जब तक कि नये हवाई हड्डे का परिचालन शुरु नहीं होता है।

First Published - March 7, 2008 | 9:58 PM IST

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