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कमजोर राजकोषीय स्थिति बनी रहेगी ऋण के लिए प्रमुख चुनौती

Last Updated- December 11, 2022 | 9:25 PM IST

रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने आज कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की राजकोषीय ताकत मध्यावधि के हिसाब से सुधरने की संभावना नहीं है, जिसे देखते हुए इसके प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत में ऋण को लेकर कमजोर स्थिति बनी रहेगी। इसमें कहा गया है कि वित्त वर्ष 23 के बजट में पूंजीगत व्यय पर जोर दिया गया है, जिससे निकट की अवधि की वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है, ‘सरकार ने कर का दायरा व्यापक करने के लिए कोई अहम कदम नहीं उठाया है और ऐसा लगता है कि वह कर में तेज बढ़ोतरी और कर अनुपालन बढ़ाने पर निर्भर है। कम से कम आगामी साल के बजट में यही लगता है। यह सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है कि वह 2024 के मध्य में होने वाले आम चुनावों को देखते हुए कोई राजस्व सुधार करे। उसके पहले भी कई राज्यों में चुनाव होने हैं।’
भारत ने केंद्र का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 23 में जीडीपी के 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो वित्त वर्ष 22 के लिए 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान था। बजट में पूंजीगत व्यय जारी रखने पर बल दिया गया है, जिससे निकट अवधि के हिसाब से वृद्धि बरकरार रहे। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा था कि सरकार मध्यावधि राजकोषीय समेकन का खाका नहीं लाई है, क्योंकि अभी भी महामारी को लेकर अनिश्चितता है। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में अभी अनिश्चितता बनी हुई है। अहम यह है कि हिस्सेदारों, खासकर बाजार को यह आश्वासन मिले कि सरकार राजकोषीय समेकन की राह पर है। ऐसा करने की कवायद की गई है।’
 मूडीज ने कहा है कि ऐेसे समय जब महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है, निकट भविष्य में वृद्धि की रफ्तार को बनाए रखने के लिए बजट में पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर जोर दिया गया है। मूडीज ने कहा, ‘हालांकि भारत के बजट अनुमान को सावधानीपूर्वक रखा गया, इससे सरकार के लिए व्यापक आर्थिक मोर्चे पर मौजूदा हालात और महामारी से उत्पन्न जोखिमों से अगले वर्ष निपटने की गुंजाइश है।’

First Published - February 4, 2022 | 11:05 PM IST

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