मंदी की जहरीली सुई ने देश के लगभग 50 लाख मालवाहक वाहनों को पंक्चर कर दिया है। इनमें से 37 फीसदी गाड़ियां बिना किसी काम के खड़ी हैं।
बंदरगाह एवं खदान पर निर्भर रहने वाले मालवाहक वाहनों का और भी बुरा हाल है। अकेले उड़ीसा में ऐसे 17 हजार वाहन हैं जिन्हें गत 60 दिनों से कोई काम नहीं मिला है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि ऐसे में अगर एक ट्रक रखने वाला ट्रांसपोर्टर आत्महत्या कर ले तो कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी।
ऑल इंडिया मोटर कांग्रेस ने अपनी दुर्दशा को सरकार तक पहुंचाने के लिए 10 दिसंबर को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। सरकार से कोई राहत नहीं मिलने की स्थिति में वे 20 दिसंबर से चक्का जाम करेंगे।
ट्रांसपोर्टरों के मुताबिक 6 छक्के वाले ट्रक आम दिनों में रोजाना 3000 रुपये का काम करते हैं और इनमें से 800 रुपये उनकी कमाई होती है। जबकि बड़े मालवाहक वाहन के मालिक रोजाना 5000 रुपये का कारोबार करते हैं और 1500 रुपये तक वे घर ले जाते हैं।
लेकिन काम नहीं मिलने के कारण कई ट्रक के मालिक तीन महीनों से बैंकों को किस्त तक अदा नहीं कर पाए हैं। मोटर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ओपी अग्रवाल पूछते हैं, ‘अकेला ट्रक के मालिक को 60 दिनों से कोई काम नहीं मिले और प्रतिमाह उसकी किस्त 30 हजार रुपये हो तो आत्महत्या के अलावा वह और क्या करेगा।’
वे कहते है कि उड़ीसा के खदान से पिछले दो महीनों से कोई माल नहीं निकल रहा है। सैकड़ों बड़े कारखानों में उत्पादन कम हो गया है। अशोक लीलैंड जैसी कंपनी के उत्पादन में 62 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है तो सैकड़ों छोटी इकाइयां बंद चुकी हैं। ऐसे में इन सब का असर ट्रांसपोर्टरों की रोजी-रोटी पर पड़ा है।
दिल्ली स्थित संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर के ट्रांसपोर्टर विक्की कहते हैं, ‘हमने अपने किराए में 20 फीसदी तक की कमी कर दी है। फिर भी काम नहीं मिल रहा है। मांग नहीं होने से कई ट्रक वाले तो सिर्फ रोटी खाने का खर्चा निकालकर माल उठा रहे हैं।’
मोटर कांग्रेस के अध्यक्ष एचएस लोहारा कहते हैं, ‘हालत ऐसी हो गयी है कि ट्रांसपोर्टर अपने ड्राइवर व खलासी को वेतन तक नहीं दे पा रहे हैं। सरकार ने ट्रांसपोर्टर को राहत नहीं दिया तो यह क्षेत्र ‘कोमा’ में चला जाएगा।’
मोटर कांग्रेस ने सरकार से डीजल के दाम में कम से कम 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती, प्रति जोड़ी टायर की कीमत में कम से कम 20 फीसदी तक कमी, छह माह के लिए टोल टैक्स में छूट व छह माह तक कर्ज की किस्त नहीं चुकाने की रियायत जैसी मांगें की हैं।
लोहारा कहते हैं कि अगर सरकार ने ट्रांसपोर्ट क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया तो इससे जुड़े देश भर के लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।