उपभोक्ताओं के यात्रा खर्च में बढ़ोतरी का फायदा भारतीय रेलवे को भी मिल रहा है और इसका ही नतीजा है कि वित्त वर्ष 2007-08 के आखिरी पांच महीनों में प्रथम श्रेणी के वातानुकूलित डिब्बों में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में 27 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
लग्जरी यात्रा का आनंद उठाने वाले लोगों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है और यही वजह है कि वित्त वर्ष 2007-08 के आखिरी पांच महीनों में प्रथम श्रेणी वातानुकूलित दर्जे में यात्रा करने वाले यात्रियों से होने वाली कमाई में 30 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। इस श्रेणी के यात्रियों से होने वाली आय बढ़कर 77.11 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। जबकि वित्त वर्ष 2006-07 की समान अवधि में इस दर्जे के यात्रियों से होने वाली कमाई 59.37 करोड़ रुपये थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि हवाई यात्रा के महंगे होने और विमानों में आय दिन विलंब की वजह से अब लोग प्रथम श्रेणी वातानुकूलित में यात्रा करना पसंद करते हैं। खासतौर पर दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू और कोलकाता जैसे महत्वपूर्ण स्थानों के लिए यह श्रेणी उनकी पसंद बन कर उभर रहा है।
हालांकि, इस दर्जे में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में 27 फीसदी की बढ़ोतरी कुछ विशेषज्ञों के लिए हैरत भरी खबर है, क्योंकि अमूमन रेलवे के पैसेंजर ट्रैफिक में 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होती है। पर अब जब कि महंगे एटीएफ की वजह से विमान किराये में और बढ़ोतरी की घोषणाएं आने लगी हैं तो बहुत कुछ मुमकिन है कि मध्यम वर्ग अब हवाई यात्रा से दूर होने लगे।
इस क्षेत्र से जुड़े एक जानकार के मुताबिक पहले जहां इस श्रेणी की महज 55-56 फीसदी सीटें ही भर पाती थीं, वहीं अब 80 फीसदी से अधिक सीटों के लिए आरक्षण हो जाता है। भले ही दिल्ली से मुंबई के बीच प्रथम श्रेणी वातानुकूलित और हवाई किराए में बहुत अधिक अंतर नहीं हो फिर भी पिछले कुछ वर्षों की तुलना में रेल से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है।