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क्या राजकोषीय विस्तार वाले बजट से बढ़ेगी महंगाई? विशेषज्ञ एकमत नहीं

Last Updated- December 12, 2022 | 8:37 AM IST

राजकोषीय विस्तार करने वाले 2021-22 के बजट से महंगाई दर बढ़ेगी या नहीं, इस पर विशेषज्ञों व अर्थशास्त्रियों की अलग-अलग राय है। सरकार को भरोसा है कि ऐसा नहीं होगा, वहीं विशेषज्ञों की राय इस मसले पर एक दूसरे से अलग है।
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन का मानना है कि इस कदम से महंगाई बढ़ेगी। उनके मुताबिक केंद्रीय बैंंक को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के पेपर्स का समर्थन करना पड़ेगा क्योंकि सरकार ने अगले वित्त वर्ष में 12 लाख करोड़ रुपये की भारी उधारी की योजना बनाई है, जो चालू वित्त वर्ष के 12.80 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त है।
रंगराजन ने कहा कि सरकार को चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का बही खाता साफ करने के लिए भी भारी उधारी लेनी होगी और अगले वित्त वर्ष में वास्तविक राजकोषीय घाटा राजस्व की बढ़ोतरी पर निर्भर होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या रिजर्व बैंक व सरकार महंगाई दर का लक्ष्य मौजूदा 4 प्रतिशत से बढ़ाएंगे, रंगराजन ने कहा कि लक्ष्य में बदलाव नहीं होना चाहिए, लेकिन राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के मुताबिक लचीलापन दिया जाना चाहिए।
सरकार ने महंगाई दर के लक्ष्य में बदलाव की संभावना से इनकार किया है, जो सरकार व रिजर्व बैंक के बीच मौद्रिक समझौता ढांचे के तहत तय होता है।
राजकोषीय विस्तार वाले बजट से क्या महंगाई बढ़ेगी, यह पूछे जाने पर पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री प्रणव सेन ने कहा ने कहा, ‘यह जरूरी नहीं है।’ इंडिया प्रोग्राम आफ इंटरनैशनल ग्रोथ सेंटर (आईजीसी) में कंट्री डायरेक्टर सेन ने कहा कि राजकोषीय घाटे का बड़ा हिस्सा पुराने बिल के भुगतान की वजह से हो रहा है।
सरकार ने अगले वित्त वर्ष से एफसीआई के लिए राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) से कर्ज लेने से बचने की कवायद करके राजकोषीय घाटे में आगे और पारदर्शिता लाने की कवायद की है।
सरकार अगले वित्त वर्ष में एफसीआई को 2.54 लाख करोड़ रुपये और मुहैया कराएगी, जिससे उसका बकाया खत्म हो सके। अब तक सरकार एनएसएसएफ से कर्ज लेकर एफसीआई को देती थी, जो सरकार के व्यय के खाते में नहीं आता था।
अगले वित्त वर्ष में खाद्यान्न सब्सिडी बढ़कर 2.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है। एनएसएसएफ कर्ज के अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए 20,000 करोड़ रुपये और ग्रामीण विद्युतीकरण योजना उज्ज्वला के लिए 5,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त बजट संसाधनों से इस्तेमाल किए गए है। इसकी वजह से भी अगले वित्त वर्ष में केंद्र का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत पहुंचने की संभावना है।
सेन ने कहा कि एफसीआई व अन्य पुराने बकायों को खत्म करने के लिए बड़ी राशि की अतिरिक्त मांग नहीं करनी होगी। उन्होंने कहा, ‘वस्तुओं व सेवाओं की डिलिवरी कर दी गई है। अब वे बिल निपटा रहे हैं।’
इसे इस रूप में भी देखा जा रहा है कि कहां व्यय बढ़ाया गया है। अगर मुख्य रूप से पूंजीगत व्यय की स्थिति देखें, जहां अर्थव्यवस्था की व्यापक संभावनाएं हैं, तो संभवत: महंगाई नहीं बढ़ेगी। इक्रा में प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘आउटपुट के अंतर को देखते हुए हम यह अनुमान नहीं लगा रहे हैं कि बजट आवंटन महंगाई बढ़ाने वाला होगा।’
इसके पहले व्यय सचिव टीवी सोमनाथन ने भी स्पष्ट किया था, ‘सवाल यह है कि देश की अर्थव्यवस्था की आदर्श क्षमता क्या है। यहां बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है। ऐसे में सेवा और वस्तु क्षेत्र में व्यापक क्षमता है। ऐसी स्थिति में वृहद आर्थिक धारणाएं संकेत दे रही हैं कि महंगाई बढऩे की संभावना कम है।’
इंडिया रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि पूंजीगत व्यय अगले साल 25 प्रतिशत बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में 4.4 लाख करोड़ रुपये था, वहीं राजस्व व्यय 2.6 प्रतिशत गिरकर 29.3 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष में 30.1 लाख करोड़ रुपये था। पंत ने कहा कि बहरहाल बेहतर तरीका यह हो सकता है कि जीडीपी के अनुपात में राजस्व व्यय देखा जाए। उन्होंने कहा कि 2013-14 से 2019-20 के बीच यह अनुपात 10.6 प्रतिशत से 12.2 प्रतिशत के बीच बना रहा। बहरहाल चालू वित्त वर्ष में यह बढ़कर 15.5 प्रतिशत हो गया और अगले वित्त वर्ष में यह 13.1 प्रतिशत रहेगा।  नायर का अनुमान है कि खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत के मध्य बिंदु से बढ़ेगा, जैसा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के लिए अनिवार्य किया गया है। 2020 के ज्यादातर हिस्सोंं में दर 6 प्रतिशत से ऊपर बनी रही है, लेकिन दिसंबर में यह 6.93 प्रतिशत से अचानक गिरकर 4.59 प्रतिशत पर आ गई। एमपीएस को आगामी तिमाही में महंगाई दर 5.2 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि आगामी वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह 5.2 से 5.0 प्रतिशत रह सकती है और व्यापक रूप से जोखिम संतुलित होने पर तीसरी तिमाही में यह 4.3 प्रतिशत रह सकती है।

First Published - February 7, 2021 | 11:27 PM IST

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