निजी खपत और निवेश में मजबूत वृद्धि को देखते हुए विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान 4.7 प्रतिशत बढ़ाकर 10.1 प्रतिशत कर दिया है। जनवरी की अपनी रिपोर्ट में विश्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
दक्षिण एशिया पर तैयार की गई अपनी रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा, ‘वित्त वर्ष 21 की दूसरी और तीसरी तिमाही (जुलाई-दिसंबर, 2020) निजी खपत और निवेश में वृद्धि की मजबूत वापसी को देखते हुए भारत की जीडीपी में वृद्धि के आंकड़ों में जनवरी के अनुमान की तुलना में 4.7 प्रतिशत अंक की उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जिसकी दक्षिण एशिया क्षेत्र की जीडीपी में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है।’
2021-22 में कोविड मामलों की वजह से अनिश्चितता पर विचार करते हुए बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि की सीमा भी तय की है, जो वित्त वर्ष 22 के लिए 7.5 से 12.5 प्रतिशत के बीच है।
इसमें कहा गया है, ‘महामारी और नीतिगत फैसलों की अनिश्चितता की स्थिति को देखते हुए वित्त वर्ष 22 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.5 से 12.5 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है। यह इस पर निर्भर करेगा कि टीकाकरण कैसा चल रहा है और आवाजाही पर नए सिरे से प्रतिबंध की जररूरत है या नहीं और वैश्विक अर्थव्यवस्था कितनी जल्दी पटरी पर आती है।’
अगर वृद्धि की ऊपरी सीमा को देखें तो विश्व बैंंक का अनुमान आईएमएफ के 11.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि के अनुमान और आर्थिक समीक्षा के 11 प्रतिशत अनुमान के करीब है।
बहुपक्षीय एजेंसी ने वित्त वर्ष 21 में अर्थव्यवस्था में 8.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है, जो राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 8 प्रतिशत गिरावट के अनुमान से ज्यादा है। विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री हेंस टिमर ने कहा कि भले ही सुधार है, लेकिन आंकड़ों को लेकर अनिश्चितता है। उन्होंने कहा कि हालात अभी चुनौतीपूर्ण है और महामारी फिर तेजी से बढ़ रही है, जबकि भारत में हर किसी को टीका लगाना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, ‘यह आश्चर्यजनक है कि भारत एक साल पहले की तुलना में कितना आगे आ गया है। साल भर पहले मंदी गहरी थी। गतिविधियों में 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट थी, टीकों के बारे में कोई स्पष्टता नहीं थी और बीमारी के बारे में अनिश्चितता थी। अब भारत वापसी कर रहा है। कई गतिविधियां खुली हैं, टीकाकरण शुरू हो गया है और देश टीके के उत्पादन में अग्रणी है।’
वृद्धि बहाल होने के साथ श्रम बाजार में भी सुधार होगा और रिपोर्ट में गरीबी में कमी महामारी के पहले के स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। गरीबी दर (1.90 डॉलर के हिसाब से) गिरकर 6 और 9 प्रतिशत के बीच रहने और वित्त वर्ष 24 तक 4 से 7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में कम आमदनी वाले वर्ग के प्रति व्यक्ति खपत में ज्यादा कमी आई है। विश्व बैंक ने कहा है कि भारत में गैर कृषि वाले ग्रामीण परिवारों में रोजगार में पुरुषों व महिलाओं की रोजगार में हिस्सेदारी कोविड-19 के बाद क्रमश: 56 प्रतिशत और 36 प्रतिशत कम हुई है। शुरुआती साक्ष्यों से पता चलता है कि पुरुष काम पर जल्दी वापस लौट आए।
दिसंबर तिमाही में चालू खाते का घाटा 0.2 प्रतिशत
देश का चालू खाते का घाटा (कैड) दिसंबर तिमाही में कम होकर 1.7 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.2 प्रतिशत रहा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बुधवार को जारी आंकड़े के अनुसार एक साल पहले दिसंबर तिमाही में कैड 2.6 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 0.4 प्रतिशत था। आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष में पिछली दो तिमाहियों में चालू खाते में अधिशेष की स्थिति रही। यह अधिशेष क्रमश: 15.1 अरब डॉलर और 19 अरब डॉलर रहा। चालू खाते का घाटा वैश्विक बाजारों के साथ लेन-देन के व्यववहर में देश की स्थिति को मामने का महत्त्वपूर्ण पैमाना है। चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में इसमें 1.7 प्रतिशत अधिशेष की स्थिति रही जबकि एक साल पहले 2019-20 में इसमें 1.2 प्रतिशत का घाटा था। भाषा