महामारी के चलते अर्थव्यवस्था में छाई मंदी के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार चालू वित्त वर्ष में राजस्व का लक्ष्य घटाएगी। कोरोना संकट के कारण चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में राजस्व वसूली में आई भारी गिरावट के चलते अब लक्ष्यों को फिर से निर्धारित किया जाएगा। हालांकि प्रदेश सरकार का कहना है कि जुलाई से अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है फिर भी राजस्व में आई कमी को देखते हुए लक्ष्यों को पुनर्निर्धारण जरुरी है। प्रदेश सरकार के पूर्व में तय लक्ष्य के मुकाबले जुलाई में करीब 32 फीसदी कम राजस्व की वसूली रही है।
चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में कमजोर हालात के बाद जुलाई से राजस्व प्राप्ति की विभिन्न मदों में आमद बढ़ी है। तीन महीनों की सुस्ती के बाद जुलाई में पेट्रोलियम उत्पादों पर मिलने वाले वैट से आबकारी राजस्व का संग्रह बढ़ा है। खनन क्षेत्र में भी राजस्व बढ़ा है। जुलाई में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की वसूली बीते साल इसी महीने के मुकाबले 97.70 फीसदी तक जा पहुंची है। हालांकि अब भी लक्ष्य से काफी पीछे हैं। चालू वित्त वर्ष में प्रदेश सरकार ने जुलाई में जीएसटी, वैट, आबकारी, स्टांप, परिवहन एवं खनन क्षेत्र से मिलने वाले राजस्व का लक्ष्य 15,632.72 करोड़ रुपये रखा था। हालांकि इस लक्ष्य के सापेक्ष कुल राजस्व की प्राप्ति 10675.42 करोड़ रुपये ही रही है।
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के मुताबिक कोरोना की वजह से राजस्व वसूली में लगातार आ रही कमी को देखते हुए लक्ष्य को कम किया जाएगा। इसी महीने नए सिरे से राजस्व वसूली के लक्ष्यों का निर्धारण किया जाएगा। खन्ना का कहना है कि जुलाई में जीएसटी की वसूली बीते साल के 6,564 करोड़ रुपये के मुकाबले 6,024 करोड़ रुपये रही है, जबकि वैट पिछले जुलाई के 1,702 करोड़ रुपये के मुकाबले बढ़कर 1,903 करोड़ रुपये हो गया है। प्रदेश सरकार ने इस साल जुलाई महीने में जीएसटी राजस्व का लक्ष्य 8,661.93 करोड़ रुपये रखा था। सेस आदि लगाने के बाद जुलाई में आबकारी, स्टांप शुल्क व परिवहन करों से मिलने वाला राजस्व भी बीते साल के मुकाबले 4,214 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,472 करोड़ रुपये जा पहुंचा है। हालांकि इसके लिए भी 6,750 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था। खनन क्षेत्र से मिलने वाला राजस्व बीते जुलाई के 147.21 करोड़ रुपये बढ़ कर इस जुलाई में 178.54 करोड़ रुपये जा पहुंचा है। वित्त मंत्री ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में अब तक केंद्र सरकार से जीएसटी क्षतिपूर्ति के तौर पर 852 करोड़ रुपये मिले हैं। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के साथ ही धीरे धीरे राजस्व वसूली और भी बढ़ेगी।