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हमेशा रहे पैसा नए कारोबार की हर जरूरत के लिए

Last Updated- December 07, 2022 | 4:05 AM IST

म्युचुअल फंड कंपनी के साथ काम करने का एक फायदा मिलता है कि कोई भी खुद-ब-खुद नौकरी करते हुए वित्त योजना की मूल बातों को समझ जाता है।


इसलिए, मुझे नौकरी से अपने कारोबार में उतरने वाले परिवर्तन के दौर में बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं हुईं। ये मूल बातें किसी के लिए समझना काफी आसान है। साथ ही यह प्रक्रिया काफी कारगर साबित होती है अगर कोई अनुशासित और अपने लक्ष्य की ओर केन्द्रित रहे।

इस दौरान सबसे बड़ा बदलाव यह आता है कि अपने कारोबार में आय में कभी-कभी अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि खर्च में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आता। स्पष्ट तौर पर  कहें कि आपको हर महीने वेतन तो  मिलता है और अगर एक महीने का वेतन किसी कारणवश नहीं मिल पाता, तब भी उस महीने के खाने, कपड़ों, साफ-सफाई, परिवहन, घर के रख-रखाव, दवाइयों, अखबारों, बिजली और टेलीफोन के बिलों से जुड़े हुए खर्च जस के तस रहते है।

अगर कोई बहुत कसा हुआ हाथ भी रखे, तब भी वह इनमें से कई खर्च को रोक सकता। ऐसी स्थिति में सबसे पहली बात जिसका ध्यान रखना चाहिए वह यह कि संघर्ष के शुरुआती महीनों में खर्च पूरे करने के लिए आपके पास नकद राशि होना काफी जरूरी है। अब एक बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर कितना पैसा काफी है? इस सवाल का जवाब कारोबार देगा कि कितना पैसा काफी रहेगा। इसके अलावा भी कुछ सवाल हैं जैसे :

मासिक आवर्ती खर्च कितना हो सकता है?
अन्य वार्षिक खर्च जैसे बीमा प्रीमियम और अन्य वार्षिक भुगतान कितने हो सकते हैं?
कितनी जल्दी आपको निश्चित आय कमाने के लिए कारोबार मिलना शुरू हो जाएगा?
नए कारोबार में भुगतान का चक्र क्या होगा?
और इन सबसे ऊपर एक डर कि आखिर क्या होगा अगर कोई कारोबार न ला सके?

इन सभी सवालों के जवाबों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपने कारोबार की जरूरतों के लिए आपको कितना पैसा चाहिए। अगर आपके कारोबार का प्रारूप ऐसा है जिसमें कारोबार लाने और उसके भुगतान के समय में काफी अंतर है तो उस समय के बीच की अवधि में अपने खर्च के लिए जरूरी है कि सही तरीके से योजना बनाई जाए। मेरे जैसे किसी के लिए जिसकी प्रशिक्षण कंपनी है, यह चक्र थोड़ा लंबा होता है।

सबसे पहले आपको अपना विचार संभाव्य ग्राहक को बेचने की कोशिश करनी पड़ती है। उसके बाद खरीददार को एक करार में बांधना पड़ता है और आपके प्रोग्राम में ग्राहक की जरूरतों के अनुसार फेर-बदल करने पड़ते हैं। आखिर में आता है भुगतान का समय। मुझे अपना पहला काम हासिल करने में तीन महीने लग गए, इसलिए अपने काम की पहली कमाई मुझे 4 महीने बाद मिली।

बेशक, कई ऐसे कारोबार भी हैं, जहां पैसे काफी जल्दी मिलने शुरू हो जाते हैं। ऐसे मामलों में, नकद राशि की जरूरत काफी कम होती है। मेरे कारोबार में भी पूंजी की जरूरत नहीं पड़ी। हालांकि इसमें सिर्फ घर-बार के खर्च थे, जिसके बारे में किसी को भी ध्यान रखना चाहिए। ऐसे कारोबारों में जहां ऑफिस, कर्मियों और अन्य खर्च होते हैं, उसके लिए नकद राशि की जरूरत काफी ज्यादा हो जाती है।

घर-बार के निरंतर खर्च तो एक चीज हैं, कारोबार के लिए लिए गए ऋण अलग बात है। अगर आपके ऊपर किराए की जगह या फिर मासिक किस्तों के भुगतान की कोई देनदारी है, तो वित्तीय देनदारी बड़ सकती है। जो लोग पहले ऋण ले चुके हैं वे जानते हैं कि वित्त कंपनियां या बैंक आपसे आय का प्रमाण मांग सकते हैं, बेशक आपकी परिसंपत्ति मॉर्गेज ही क्यों न हो।

बैंक इस तरह की परिसंपत्ति के लिए वित्त मुहैया नहीं कराते, वे किसी परिसंपत्ति को खरीदने पर वित्त की सुविधा देते हैं और जब बैंक आपकी मदद करता है, तो वह लेनदार की उस समयावधि के लिए ऋण भुगतान की क्षमताओं पर भी परख करता है। और यही कारण है कि बैंक स्वरोजगार से जुड़े व्यक्ति से ज्यादा वेतनभोगी को ऋण देने में आराम महसूस करते हैं।

नकद राशि के लिए जितना भी पैसा था, वह लिक्विड फंडों में लगा दिया। लिक्विड फंड म्युचुअल फंडों में से ही एक बेहतरीन योजना है। इस योजनाओं में कम समय के लिए आपके पैसे को बाजार में लगाया जाता है और इसमें बाजार कीमतों के उतार-चढ़ाव का जोखिम भी कम है। इसमें आप एक कार्य दिवस में सूचना के बाद आप अपना पैसा वापस ले सकते हैं और वह भी टैक्स में बचत के साथ।

First Published - June 8, 2008 | 10:56 PM IST

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