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आरोग्य संजीवनी : सस्ती स्वास्थ्य पॉलिसी

Last Updated- December 15, 2022 | 8:01 PM IST

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने सभी सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से आरोग्य संजीवनी नाम की एक मानक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी मुहैया कराने को कहा है। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रमुख (रिटेल अंडरराइटिंग) गुरदीप सिंह बत्रा ने कहा, ‘यह एक स्पष्ट पॉलिसी है, जिसकी शब्दावली आसान है। इसे समझना आसान है और इसमें उचित कीमत पर अच्छा कवर मिलता है।’ सभी कंपनियों की इस पॉलिसी में एकसमान बीमा, शामिल न होने वाले इलाज और सीमाएं होंगी। विभिन्न कंपनियों के दावों के अनुपात के आधार पर केवल दाम अलग-अलग होंगे।

ग्राहकों में बना रहे भरोसा
विशेषज्ञों का मानना है कि नियामक ने यह बहुत अच्छा कदम उठाया है, जिससे पॉलिसीधारकों और बीमा कंपनियों के बीच भरोसे की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी। आम तौर पर पॉलिसीधारकों को इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं पता होता है कि उनकी पॉलिसी में क्या शामिल है और क्या नहीं है। इसी वजह से पॉलिसीधारकों और बीमा कंपनियों के बीच विवाद पैदा होते हैं। आरोग्य संजीवनी में सभी बीमा कंपनियों की पॉलिसी के नियम एवं शर्तें समान होंगी, इसलिए विवाद की बहुत कम गुंजाइश होगी। पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) अमित छाबड़ा ने कहा, ‘भरोसे की कमी इसलिए होती है क्योंकि आम तौर पर पॉलिसीधारक यह नहीं समझते हैं कि उन्होंने क्या खरीदा है। मगर यह मानक पॉलिसी शुरू होने से पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी को समझ पाएंगे।’

कौन खरीद सकता है?
इस पॉलिसी को 18 से 65 साल का कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है। इसे व्यक्तिगत कवर या फैमिली फ्लोटर प्लान के रूप में खरीदा जा सकता है। फैमिली फ्लोटर में पति-पत्नी के अलावा तीन महीने से लेकर 25 साल तक के दो निर्भर बच्चे शामिल होते हैं। पति, पत्नी और दो बच्चों के अलावा फैमिली फ्लोटर आरोग्य संजीवनी प्लान में माता-पिता या सार-ससुर को भी शामिल किया जा सकता है। अठारह साल से अधिक उम्र के आत्मनिर्भर बच्चों को फैमिली पॉलिसी में शामिल नहीं किया जा सकता है। उन्हें अपने लिए व्यक्तिगत प्लान खरीदना होगा।
इस पॉलिसी का जीवनभर नवीनीकरण कराया जा सकता है। ग्लोबल इंश्योरेंस ब्रोकर्स के प्रमुख (स्वास्थ्य एवं लाभ, नवोन्मेषी समाधान) जयेश गाडेकर ने कहा, ‘इस समय जो पॉलिसी उपलब्ध हैं, उनमें पॉलिसीधारक 65 साल पार करने के बाद भी पॉलिसी का नवीनीकरण करा सकता है। मगर कोई भी व्यक्ति 65 साल की आयु के बाद नई पॉलिसी नहीं खरीद सकता।’

किफायती पॉलिसी
आरोग्य संजीवनी में एक लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक का कवर मिलता है। अगर पॉलिसीधारक किसी पॉलिसी वर्ष में कोई दावा नहीं करता है तो वह बीमित राशि का पांच फीसदी बोनस हासिल कर सकता है। यह बोनस बीमित राशि के 50 फीसदी तक जा सकता है।
इस पॉलिसी में कम से कम 24 घंटे अस्पताल में भर्ती रहने के खर्च कवर होंगे। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्च भी शामिल होंगे। यहां तक कि एक दिन से भी कम समय में होने वाली सर्जरी, आयुष और मोतियाबिंद (बीमित राशि का अधिकतम 25 फीसदी या 40,000 रुपये, इनमें से जो कम है) भी कवर हैं। इस पॉलिसी में दांतों का इलाज, प्लास्टिक सर्जरी (बशर्ते कि बीमारी या चोट की वजह से यह आवश्यक हो गई हो) और एंबुलेंस खर्च भी शामिल है। इसमें कोविड-19 के लिए भी कवर मिलता है। इस समय बीमा कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाली हॉस्पिटाइलजेशन, रीइंबर्समेंट जैसी अन्य स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में भी कोविड-19 को शामिल किया गया है। इस मुद्दे पर बने भ्रम को स्पष्ट करते हुए छाबड़ा ने कहा, ‘हां, कोविड-19 भी आरोग्य संजीवनी में शामिल होगा। अगर किसी व्यक्ति को कोविड-19 के इलाज की जरूरत पड़ती है तो इस पॉलिसी में ओपीडी और एंबुलेंस खर्च भी शामिल है। कोविड-19 की वजह से होने वाला संक्रमण पहले से मौजूद बीमारी की श्रेणी में नहीं आता है, इसलिए इस बीमारी के लिए दावे पहले दिन से कवर होंगे। उन्होंने कहा कि पहले भी एच1एनए1 और इबोला की वजह से अस्पताल में भर्ती होने को स्वास्थ्य पॉलिसियों में कवर किया गया था।

कुछ इलाज शामिल नहीं
इस पॉलिसी की दो सीमाएं कमरे के किराये और सह-भुगतान से संबंधित हैं। कमरे का किराया बीमित राशि का दो फीसदी और अधिकतम 5,000 रुपये तक ही स्वीकृत है। इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू)/इंटेंसिव कार्डियक केयर यूनिट (आईसीसीयू) में बीमित राशि की पांच फीसदी या अधिकतम 10,000 रुपये प्रतिदिन का खर्च ही स्वीकृत है। दूसरी सीमा सह-भुगतान से संबंधित है। इस पॉलिसी के तहत प्रत्येक दावे के लिए पांच फीसदी सह-भुगतान करना होगा। दावे की राशि का यह हिस्सा बीमित व्यक्ति को अपनी जेब से देना होगा। आरोग्य संजीवनी में कुछ इलाज शामिल नहीं हैं। इसमें मातृत्व इलाज, वजन कम करना, असिद्ध और प्रायोगिक इलाज, स्टरलिटी एवं इन्फर्टिलिटी, लिंग बदलाव, खतरनाक साहसिक खेल और कानून के उल्लंघन या युद्ध की वजह से आने वाली चोट शामिल नहीं होंगी।
हालांकि इस योजना में कवर सभी बीमा कंपनियों में समान है मगर उनकी प्रीमियम की दरें अलग-अलग हो सकती हैं। गडेकर ने कहा, ‘बिना किसी शारीरिक समस्या वाले 30 वर्षीय व्यक्ति को पांच लाख रुपये की बीमित राशि के लिए 3,000 रुपये एवं जीएसटी अतिरिक्त से लेकर 5,100 रुपये एवं जीएसटी का भुगतान करना पड़ सकता है। खरीदार को बीमा कंपनी चुनते समय प्रीमियम और ग्राहक सेवा पर साख दोनों को देखना चाहिए। छाबड़ा ने कहा कि ग्राहकों को ऐसी बीमा कंपनी चुननी चाहिए, जो कैशलेस लाभ मुहैया कराती हो और जिसका दावों के निपटान का अच्छा रिकॉर्ड हो।

खरीदें, बाद में टॉप अप करें
यह सस्ते प्रीमियम वाली पॉलिसी उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जिन्होंने अभी तक अपना स्वास्थ्य बीमा नहीं लिया है। सिंह ने कहा, ‘जिन लोगों ने निजी स्वास्थ्य पॉलिसी नहीं ली है, उन्हें इस प्लान के तहत खुद को कवर करना चाहिए।’ इस समय जिस तरह लोगों की नौकरियां जा रही हैं, उससे यह उजागर हुआ है कि व्यक्ति कार्यालय द्वारा मुहैया कराए जाने वाले स्वास्थ्य बीमा पर निर्भर नहीं रह सकता। व्यक्ति की जैसे ही नौकरी गई, कवर भी खत्म हो जाएगा। इसलिए हर व्यक्ति को निजी स्वास्थ्य बीमा खरीदना चाहिए। अगर आप अकेले हैं और पहली बार स्वास्थ्य बीमा ले रहे हैं तो आरोग्य संजीवनी पॉलिसी पर्याप्त होगी, जिसमें पांच लाख रुपये तक का कवर मिलता है। लेकिन जैसे ही व्यक्ति का परिवार बढ़ता है, उसकी आयु बढ़ती है और इलाज का खर्च बढ़ता है तो व्यक्ति को ज्यादा बीमित राशि की जरूरत महसूस होती है। तब उसे अपने आरोग्य संजीवनी कवर के साथ सुपर टॉप-अप पॉलिसी लेनी चाहिए। सिंह कहते हैं, ‘पांच लाख रुपये बीमित राशि के साथ बुनियादी कवर के रूप में आरोग्य संजीवनी खरीदें। जब आप इस स्तर से अधिक अपनी बीमित राशि को बढ़ाना चाहते हैं तो फ्लोटर सुपर टॉप-अप पॉलिसी खरीदें ताकि परिवार को बेहतर कवर किया जा सके।’ जिन लोगों के पास पहले ही कोई स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (बुनियादी हॉस्पिटलाइजेशन रीइंबसर्ममेंट कवर) है, उन्हें अतिरिक्त कवरेज के लिए आरोग्य संजीवनी नहीं खरीदनी चाहिए। हमेशा बीमित राशि का स्तर बढ़ाने के लिए सुपर टॉप-अप खरीदना बेहतर रहता है। सिंह ने कहा, ‘आरोग्य संजीवनी एक बुनियादी पॉलिसी है, इसलिए सुपर टॉप-अप खरीदने के बजाय इसे खरीदना महंगा पड़ेगा।’

First Published - June 8, 2020 | 12:12 AM IST

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