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येस बैंक में परिसंपत्ति गुणवत्ता का दबाव

Last Updated- December 12, 2022 | 7:22 AM IST

पिछले साल लगभग इसी समय, चौथे सबसे बड़े निजी क्षेत्र के ऋणदाता येस बैंक को मोरेटोरियम के दायरे में लाया गया था और इसका पूरे बैंकिंग क्षेत्र पर असर देखने को मिला था। अन्य बैंकों में विलय से जुड़ी अफवाहों को दूर करते हुए बैंकिंग नियामक ने येस बैंक के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ एकदम नई राहत योजना तैयार की, और सात निजी क्षेत्र के ऋणदाताओं (आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड समेत)  ने तेजी से 12,000 करोड़ रुपये की इक्विटी लगाई जिससे येस बैंक को एक महीने की अवधि से पहले ही 17 मार्च 2020 को मोरेटोरियम से बाहर निकलने में मदद मिली।
उस समय अपनी सबसे बड़ी चुनौती को याद करते हुए येस बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत कुमार ने कहा कि बैंक जमाओं की समय-पूर्व निकासी समेत भारी तादाद में जमाओं के लिए तैयार था। कुमार कहते हैं, ‘चाहे आईटी प्रणालियां हों या शाखाएं और कर्मचारी, सभी इस अनिश्चितता के लिए तैयार थे।’ 17 मार्च से 31 मार्च तक, बैंक का जमा आधार 12,000 करोड़ रुपाये तक घटकर 1.05 लाख करोड़ रुपये रह गया। लेकिन यह ऐसा आखिरी समय भी था जब उसे इस त रह के संकट से जूझना पड़ा था। 31 दिसंबर 2020 तक बैंक का जमा आधार बढ़कर 1.46 लाख करोड़ रुपये हो गया था, जो तिमाही आधार पर 8 प्रतिशत की वृद्घि थी, हालांकि यह एक साल पहले के 1.65 लाख करोड़ रुपये से कम था।
निवेशकों का भरोसा लौट रहा है और खासकर रिटेल मोर्चे पर बैंक को मदद मिल रही है जिसका असर उसकी ऋण बुक पर दिख रहा है। जहां कुल बुक अभी भी कमजोर बनी हुई है क्योंकि बैंक अपने फंसे ऋणों को दूर करने में लगा हुआ है, वहीं रिटेल इंजन में मजबूती आ रही है। तीसरी तिमाही में लगातार तीसरी बार रिटेल ऋण तिमाही आधार पर 19 प्रतिशत बढ़े जबकि गैर-कॉरपोरेट ऋण वृद्घि 10 प्रतिशत पर रही। रिटेल-कॉरपोरेट ऋण मिश्रण (48:58) धीरे धीरे बदल रहा है और इससे शुद्घ लाभ प्राप्ति के संदर्भ में मदद मिल रही है। जहां बैंक की कोशिश 60:40 प्रति का रिटेल-हैवी मिश्रण हासिल करने की है, वहीं कुमार कोई अवसर खोना नहीं चाहते हैं, क्योंकि बजट ने इन्फ्रा खर्च के रास्ते खोले हैं। वह कहते हैं, ‘नजरिये में बदलाव लाए जाने की जरूरत है, चाहे अवसर रिटेल से जुड़े हों या कॉरपोरेट ग्राहकों से।’ अन्य महत्वपूर्ण चुनौती थी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना। अब येस बैंक फिर से वृद्घि के क्षेत्रों में प्रतिभाओं की नियुक्ति कर रहा है। एक वर्षीय रिटेंशन टेनर (राहत योजना के अनुसार) समाप्त होने वाला है और और कुमार ने आश्वस्त किया है कि मौजूदा कर्मचारियों को बनाए रखा जाएगा। इसे देखते हुए बैंक के टेलेंट पूल को ‘हाई क्वालिटी’ करार दिया गया है।
कुल मिलाकर, वह इसे लेकर उत्साहित हैं कि निवेशक प्रतिक्रिया आकर्षक हो रही है। कुमार कहते हैं, ‘किसी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि बैंक इतने कम समय में व्यवसाय की रफ्तार पुन: तेज करने में सफल रहेगा।’
मैक्वायरी कैपिटल के सुरेश गणपति का कहना है कि मौजूदा समय में जोखिम और व्यवसाय के बीच स्पष्ट रेखा है, और बिक्री का योगदान और रिपोर्टिंग ढांचा उस तरीके से अनुकूल बनाया गया है जिसमें वर्टिकल प्रमुख बोर्ड को रिपोर्ट करेगा। बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी क्रेडिट कमेटी में नहीं हैं। इन ढांचागत बदलावों से भी बैंक को फिर से दलाल पथ का भरोसा हासिल करने में मदद मिल रही है। लेकिन परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार लाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में 24,766 करोड़ रुपये के प्रावधान (किसी निजी बैंक द्वारा सर्वाधिक तिमाही प्रावधान) के बावजूद परिसंपत्ति गुणवत्ता महामारी की वजह से कमजोर बनी हुई है। परिसंपत्ति वर्गीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय की रोक के बगैर सकल एनपीए अनुपात 20 प्रतिशत बना रहेगा, जो निजी बैंकों में सर्वाधिक है, क्योंकि इन बैंकों ने 15.36 प्रतिशत की सकल एनपीए दर्ज किया है।
कुमार कहते हैं, ‘वृहद परिवेश खलनायक की भूमिका निभा रहा है।’ वह कहते हैं कि न सिर्फ महामारी से दबाव बढ़ा है बल्कि ऋण रिकवरी की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है। पर्यटन, यूटिलिटीज, और रियल एस्टेट को लेकर नई समस्याएं हैं जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है और इससे संबंधित अनिश्चितता को देखते हुए ऋणों के एनपीए में तब्दील का अनुमान वित्त वर्ष 2021 के लिए पिछले 9,000 करोड़ रुपये के पार जा सकता है।
येस बैंक के शेयरधारकों ने हाल में 10,000 करोड़ रुपये की इक्विटी उगाही को मंजूरी दी है। हालांकि बैंक ने इसे वृद्घि से संबंधित पूंजी करार दिया है, लेकिन उसकी परिसंपत्ति गुणवत्ता को देखते हुए एलारा कैपिटल के विश्लेषकों का मानना है कि यदि वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के लिए कुल ऋण लागत 8 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा रहती है तो पूंजी पर्याप्तता में गिरावट ज्यादा आएगी। उनका कहना है, ‘अपना पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिए बैंक को 6 महीने के अंदर ताजा पूंजी जुटाने की जरूरत होगी।’

First Published - March 7, 2021 | 11:13 PM IST

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