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बैलेंस शीट ही नहीं है अंतिम सत्य

Last Updated- December 09, 2022 | 9:12 PM IST

पिछले सप्ताह जब मैंने अपने स्तंभ में सत्यम के बारे में लिखा था तो मुझे इस बात की आहट भी नहीं थी कि कंपनी की बैलेंस शीट में कई सालों का इतना बड़ा घोटाला किया गया है। अब भी इसे पूर्णतया मिलाना काफी मुश्किल है।


शुक्रवार को 20 रुपये पर कारोबार करते भारतीय कंपनी के शेयर संभवतया काफी नीचे गिर गए, क्योंकि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के कारोबार पर रोक लगाने से पहले एडीआर 5 रुपये से कम के बराबर कीमत तक गिर गए।

नाश से पहले यह जानने के लिए हो सकता है कि हमें महीने या फिर साल का समय लग जाए कि आखिर उससे कैसे बचा जा सकता था।

कुछ असल कमाई और शायद साथ ही साथ मुनाफे भी होंगे। कंपनी के पास कुछ मौजूदा ठेके भी हैं। चिंता के मद्देनजर शायद कुछ कारोबारी विभागों को अलग किया जाए? शायद इसे किसी परिसंपत्ति की तलाश करने वाली कंपनी को बेच दिया जाए?

आकलन इसके लिए एक बढ़िया प्रयोग होगा। क्लास एक्शन मुकदमों ने तो पहले ही हर तिमाही से अपने दावे करने शुरू कर दिए हैं। यहां क्षेत्राधिकार के मामले में भी कुछ भिडंत है। ताजातरीन ऑडिट एक डरावना सपना हो सकता है।

यह जानते हुए कि कंपनी के प्रवर्तक ने गलत आंकड़ों की बात स्वीकार की है, हर परिसंपत्ति को अच्छी तरह से जांचा जाएगा। एक उम्मीद सिर्फ इस बात की है कि कर्मचारियों की संख्या (वाकई 53,000 कर्मचारी हैं?) बिना किसी दुख-दर्द के सामने दिखाई दे सकती है।

लेकिन इस गड़बड़ से पहले उठाई जा चुकी बाजार नियामकों को और सशक्त बनाने की मांग को ही और बल मिलेगा। इससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि कॉर्पोरेट प्रशासन के स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति के जरिये उच्च मानकों को लागू करने में नियामक कितने नाकामयाब रहे हैं।

क्लॉज 49 को कानून में से कॉर्पोरेट की किताबों पर लिख तो लिया गया, लेकिन यह एनरॉन और वर्ल्ड कॉम जैसे इसी तरह लेकिन इससे काफी बड़े मामलों को होने से रोक नहीं सका। ऐसे मामलों में से सत्यम में  ‘बिग फोर’ ऑडिट फर्मों में से एक प्राइस वाटरहाउस ने सालोसाल कंपनी के बहीखातों में अपना जौहर दिखाया।

इससे एक सबक तो यह मिल जाता है कि अगर कोई कंपनी बड़ा झूठ बोलने के लिए तैयार है तो संभवतया उसका विश्वास कर लिया जाएगा।

इसके अलावा जो सबक मिलता है वह यह कि बाद में यह खुद-ब-खुद अपना रास्ता बनाता हुआ सबके सामने आ जाएगा, क्योंकि बाजार कई बार या कोई अन्य इस बात की आहट पा ही लेता है कि कुछ गलत हो रहा है।

दुर्भाग्यवश इतने बड़े स्तर के धोखों को बैलेंसशीट  की जांच कर पता नहीं लगाया जा सकता। अगर ऑडिटर इस बात का प्रमाण दे दें कि परिसंपित्तयां जिसमें नकद भी शामिल है, वास्तविक रूप में मौजूद हैं तो किसी भी विशेषज्ञ को इस बात को मानना ही होगा।

सत्यम ने मार्जिन में जो धोखाधड़ी की थी वह मानने लायक थी- 24 प्रतिशत परिचालन लाभ मार्जिन-बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनियों के लिए काफी कम था। यह काम इतने बढ़िया तरीके से किया गया कि कंपनी को कॉर्पोरेट प्रशासन के लिए वैश्विक सम्मान भी मिला।

इस तरह के मामले से जो परिणाम हुआ वह काफी व्यापक था, जिसने वित्तीय अकाउंटिंग प्रणाली में विश्वास को कम कर दिया। इस तरह की परिस्थितियों में प्रबंधन की साख सबसे ऊपर हो जाती हे।

इन्फोसिस, टीसीएस या विप्रो को इसका फायदा मिला क्योंकि नियंत्रण में रहने वाले लोगों ने कई दशकों से खुद को ईमानदार होने के लिए साख बना ली।

इस मामले में सत्यम से सीधे-सीधे जुड़े शेयरधारकों और हिस्सेदारों के अलावा सबसे अधिक नुकसान उन निवेशकों को हुआ है। कम जिम्मेदाराना प्रबंधन वाली कंपनियों में निवेश का खामियाजा निवेशकों को भुगतना पड़ता है। कंपनी में विश्वास की कमी का परिणाम कम पीई के रूप में देखने को मिलेगा।

सत्यम ने अपनी इच्छानुसार हो सकता है मुनाफे में भी धांधली की हो, क्योंकि उसे उसकी निर्यात आय पर आयकर नहीं चुकाना होता। हो सकता है कर से बचने के लिए कुछ दूसरे निर्यातक भी इसी तरह से अपने बहीखातों में फेर-बदल करें। हो सकता है कि ऐसा दूसरे उद्योग में भी कर बचाने के लिए देखने को मिले।

आमतौर पर मुनाफे में कमी दिखाई जाती है और नकदी को निकाल लिया जाता है। ऐसे कारोबारों में जहां नकदी काफी अधिक होती है, वहां पीई हो सकता है काफी कम हो जाए। मिसाल के तौर पर शराब, विमानन, एफएमसीजी, रिटेल ये सभी नकद आधारित कारोबार हैं, जिसमें एक बेहद बड़े हिस्से में नकद कारोबार होता है।

इससे प्रबंधन को आईटी और उत्पाद शुल्क विभाग के साथ एक करीबी रिश्ता बनाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। इससके जरिये कंपनी नकद राजस्व को छिपा सकती है। ऐसे कारोबारों में जहां मुनाफे पर कर लगता है वहां मुनाफे के बढ़ने की उम्मीद काफी कम होती है।

रियल एस्टेट शुध्द परिसंपत्ति मूल्य और कंपनी के पास मौजूदा जमीन की अवधारणा पर काम करता है। यहां हमेशा मूल्यांकन के मामले में कुछ संबंधित तत्व होते हैं और यहां अक्सर रियल एस्टेट के लेन-देन में नकद का कोई हिसाब-किताब नहीं रखा जाता।

जुनूनी किस्म के लोगों का मानना है कि आधिकारिक आंकड़ों का कोई मतलब नहीं है और रियल एस्टेट में कीमतें गिर रही हैं। रिलय एस्टेट शेयरों की कीमतें 7 और 9 जनवरी को काफी गिरीं। क्या हम ऐसे कुछ और भी कारोबार देख सकते हैं, जहां आंकड़ों में जालसाजी करना काफी आसान है? हां, ऐसा हो सकता है।

शुध्द रूप से अगर बाजार सत्यम गड़बड़ी के जवाब में उन सभी कंपनियों की पीई को लगभग खत्म ही कर देता है, जिनके संदेहास्पद वित्तीय आंकड़े होने की उम्मीद है तो इससे उन कंपनियों के प्रबंधन के सामने एक चुनौती खड़ी हो जाती है।

क्या प्रवर्तक-प्रबंधन चोरी करेंगे या वे बेहतर मूल्यांकन के लिए साख को बनाने की कोशिश करेंगे? जो आसानी से जल्दी पैसा कमाना चाहते हैं वे एक रास्ता अपनाएंगे, जबकि चतुर कंपनियां लंबा रास्ता लेंगे, जिसमें उन्हें कष्ट तो अधिक होगा, लेकिन यह रास्ता उन्हें इनाम दिलाएगा।

First Published - January 11, 2009 | 9:17 PM IST

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