भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि बैंक मौजूदा कोविड की लहर में खाता बही में दबाव के प्रबंधन में पहले से अच्छी स्थिति में हैं। उन्हें उच्च पूंजी बफर, वसूली में सुधार आने और लाभ की ओर वापसी करने से मजबूती मिली है।
कोविड-19 संक्रमणों की दूसरी लहर के बीच राज्य सरकारों ने इसके प्रसार को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लागू किया है। इन रोकथामों से आर्थिक गतिविधि को धक्का लगा है जिसके कारण नौकरी और कारोबार को नुकसान हो रहा है और व्यवस्था में दबाव बढ़ा है।
आज जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा कि आगामी तिमाहियों में बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता पर करीब से नजर रखने की जरूरत होगी। साथ ही संपत्ति के वर्गीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए अंतरिम रोक के हटने पर उच्च प्रावधानों के लिए तैयार रहना होगा।
ऋण पुनर्भुगतान पर मोहलत अवधि (1 मार्च, 2020 से 31 अगस्त 2020) के दौरान वसूले गए ऋणों के ब्याज पर ब्याज को माफ करने का बोझ भी ऋणदाता संस्थाओं के वित्त पर पड़ सकता है। दबाव परीक्षणों से संकेत मिलता है कि बैंकों के पास समग्र स्तर पर अत्यधिक दबाव परिदृश्य में भी पर्याप्त पूंजी है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों की पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) मार्च 2020 के 14.8 फीसदी से बढ़कर दिसंबर 2020 में 15.9 फीसदी हो गई।