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जमा दरों में कटौती के लिए अभी इंतजार करेंगे बैंक: SBI चेयरमैन CS शेट्टी

सीएस शेट्टी ने मनोजित साहा से बातचीत में कहा कि बैंक की परिसंपत्ति देयता समिति की बैठक इस सप्ताह होगी।

Last Updated- February 09, 2025 | 10:01 PM IST

करीब 5 वर्षों के अंतराल के बाद भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत रीपो दर में कटौती किए जाने के साथ ही वा​णि​ज्यिक बैंकों द्वारा जमा दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ गई है। मगर भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने मनोजित साहा से बातचीत में कहा कि बैंक की परिसंपत्ति देयता समिति की बैठक इस सप्ताह होगी और बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋण में इसी महीने से कमी की जाएगी। मुख्य अंश: 

भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत रीपो दर को 25 आधार अंक घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया है। ऐसे में बाहरी बेंचमार्क से जुड़ी उधारी दरों में भी गिरावट की उम्मीद की जा रही है। ऐसा कब तक होगा?

हमारी परिसंप​त्ति देयता समिति की बैठक इसी सप्ताह होगी। उधारी दरों में कटौती इसी महीने से प्रभावी हो जाएगी।

सीमांत लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर) के बारे में आप क्या कहेंगे?

एमसीएलआर में कटौती संसाधनों की लागत, फंड की सीमांत लागत पर निर्भर करेगी। 

जमा दरों में कटौती कब की जाएगी? 

मैं समझता हूं कि अ​धिकतर बैंक शायद जमा दरों में तत्काल कटौती नहीं करेंगे। वे इसके लिए इस तिमाही के अंत तक इंतजार कर सकते हैं। यह तिमाही सभी के लिए व्यस्त रही है। इस आखिरी तिमाही में उधारी में वृद्धि भी अच्छी है। नि​श्चित तौर पर इसके लिए जमा बढ़ाने की भी जरूरत होगी। मेरा मानना ​​है कि कुछ बैंक इस संबंध में निर्णय ले सकते हैं लेकिन अधिकतर बैंक अगली तिमाही तक इंतजार करेंगे। उसके बाद ही एमसीएलआर में बदलाव होगा।

अगले वित्त वर्ष के दौरान जमा दरों में किस प्रकार की नरमी दिखेगी? 

हमारा मानना है कि अगले 12 महीनों के दौरान नीतिगत रीपो दर में 75 आधार अंकों की कटौती होगी। हमारे आर्थिक शोध विभाग का दृष्टिकोण भी यही है। इसमें महज 25 आधार अंकों की कटौती किए जाने का तत्काल फायदा जमाकर्ताओं को नहीं मिलेगा। अगर दरों में कटौती बार-बार और अ​धिक की जाती है तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उसका प्रभाव हर जगह दिखे। अगर जमा दरों में बदलाव नहीं किया गया तो नीति दर का प्रभाव नहीं दिखेगा। ऐसे में आप एमसीएलआर में भी बदलाव नहीं कर सकते। इसलिए ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं। मगर रीपो दर में इस बार की कटौती का तत्काल प्रभाव जमा दर पर नहीं दिखेगा।

तीसरी तिमाही में भारतीय स्टेट बैंक के घरेलू परिचालन का शुद्ध ब्याज मार्जिन 3.15 फीसदी रहा। क्या आपको लगता है कि रीपो दर में कटौती के कारण इस तिमाही में शुद्ध ब्याज मार्जिन पर दबाव बढ़ेगा?

अगर ब्याज दर में इस प्रकार की मामूली कटौती की जाती है तो मुझे लगता है कि हम मार्जिन को संभाल सकते हैं। हम उसे बचाने में शायद समर्थ होंगे। 

नीतिगत घोषणा के दौरान आरबीआई ने पाया कि कॉल मनी मार्केट को ऋण देने बैंकों की रुचि नहीं है। इस पर आप क्या कहेंगे?

यह एसबीआई पर लागू नहीं होता है। हम कॉल मनी मार्केट के एक सक्रिय भागीदार हैं। यह (कॉल मनी मार्केट में उधार देना) बिना रेहन का ऋण है। अगर किसी के पास रेहन है तो वह ट्रेप्स (ट्राइपार्टी रीपो डीलिंग सिस्टम) और क्रोम्स (क्लियरकॉर्प रीपो ऑर्डर मैचिंग सिस्टम) से उधार लेने की कोशिश करेगा। रेहन वाले ऋण बिना रेहन वाले ऋण से सस्ते हैं। हम कॉल मनी में सक्रिय तौर पर भाग लेते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक ने तरलता कवरेज अनुपात के मानदंडों को भी टाल दिया है जबकि मसौदा परिपत्र में उसे 1 अप्रैल, 2025 से लागू करने की बात कही गई थी। इस पर आप क्या कहेंगे?

इस पर अनिश्चितता थी, मगर अब बिल्कुल स्पष्ट हो चुका है कि अप्रैल 2026 से पहले ऐसा नहीं होने वाला है। यह एक बड़ी स्पष्टता है। यह निश्चित तौर पर सकारात्मक है। हमने भी सिफारिशें दी हैं कि अगर एलसीआर के इन मानदंडों को लागू किया जाता है तो क्या करने की जरूरत है। फिलहाल यह बैंकों के लिए बड़ी राहत है।

First Published - February 9, 2025 | 10:01 PM IST

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