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बैंकिंग तंत्र में अधिशेष नकदी 4 लाख करोड़ रुपये के पार, दो साल का रिकॉर्ड टूटा; RBI की निगरानी तेज

आरबीआई को VRRR नीलामी में बैंकों से जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला, अधिशेष नकदी बढ़कर 4.04 लाख करोड़ रु. पर पहुंची, जिससे मौद्रिक नीति और ओवरनाइट रेट पर असर पड़ सकता है।

Last Updated- July 04, 2025 | 10:36 PM IST
Indian Rupee
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

बैंकिंग तंत्र में अधिशेष नकदी गुरुवार को बढ़कर 4.04 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। यह 19 मई 2022 के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत बैंक जितनी रकम रखते हैं वह अधिशेष नकदी कहलाती है।

मई में आरबीआई से 2.69 लाख करोड़ रुपये लाभांश मिलने के बाद केंद्र सरकार ने जमकर व्यय किए हैं। बैंकिंग तंत्र में अधिशेष नकदी की उपलब्धता की यह एक बड़ी वजह है। आरबीआई ने 7 दिन की वेरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) नीलामी भी आयोजित की जिसमें उसे 1 लाख करोड़ रुपये अधिसूचित रकम के मुकाबले 1.70 लाख करोड़ रुपये की बोलियां मिलीं। आरबीआई ने 5.47 फीसदी की कट-ऑफ दर से 1 लाख करोड़ रुपये स्वीकार किए। 

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पिछले सप्ताह हुई नीलामी की तुलना में इस बार काफी अधिक बोलियां आईं। पिछले सप्ताह 1 लाख करोड़ रुपये की अधिसूचित रकम की तुलना में आरबीआई को 84,975 करोड़ रुपये मूल्य की बोलियां मिलीं। करूर वैश्य बैंक में ट्रेजरी प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘पिछली नीलामी में बोलियां इसलिए कम रही थीं क्योंकि वह तिमाही की समाप्ति के समय हुई थी मगर अब नकदी की स्थिति काफी भिन्न है। निकट अवधि में भी अधिशेष नकदी 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक बनी रह सकती है।’

वीआरआरआर नीलामी का उद्देश्य बैंकिंग तंत्र से अधिशेष नकदी निकालना और ओवरनाइट रेट को रीपो रेट के अनुरूप करना है। अधिशेष नकदी की वजह से ओवरनाइट वेटेड एवरेज कॉल रेट स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.25 फीसदी के करीब और 5.50 फीसदी रीपो रेट से कम रही है।

कारोबारियों का कहना है कि अगर आरबीआई डब्ल्यूएसीआर को रीपो दर के अनुरूप रखना चाहता है तो सबकी नजरें इस पर टिकी होंगी कि वह रोजाना वीआरआरआर नीलामी करता है और अधिसूचित राशि बढ़ाता है या नहीं।

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शुक्रवार को डब्ल्यूएसीआर पिछले दिन दर्ज 5.26 फीसदी से बढ़कर 5.29 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई जबकि वेटेड एवरेज ओवरनाइट टीआरईपी दर मौजूदा 5.12 फीसदी से बढ़कर 5.18 फीसदी हो गई। सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर व्यय और जीएसटी संग्रह अनुमान से कम रहने से बैंकिंग तंत्र में नकदी में कमी आई। इन दोनों कारणों से नकदी से जुड़ा दबाव कम हो गया। 

विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकिंग तंत्र से अधिशेष नकदी कम करने की प्रक्रिया उतनी तेज नहीं रही है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) पहले ही कम कर दिया था जिससे वीआरआरआर के अलावा नकदी खींचने के दूसरे उपाय सीमित रह गए हैं। 

First Published - July 4, 2025 | 10:29 PM IST

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