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बैंक बने ‘खतरों के खिलाड़ी’

Last Updated- December 10, 2022 | 11:17 PM IST

बाजार में फिर से सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज की बहार शुरू हो गई है।
कई बैंक ग्राहकों को लुभाने के लिए अपनी बेंचमार्क प्रधान ऋण दर (पीएलआर) से भी कम ब्याज दरों पर कर्ज मुहैया करा रहे हैं। इस वजह से ही बाजार में आ रही 65 से 70 फीसदी नई कर्ज योजनाओं के लिए बैंक पीएलआर से भी नीचे सब पीएलआर पर कर्ज दे रहे हैं।
पिछले साल नकदी की किल्लत और डिफॉल्टरों की बढ़ती तादाद को देखते हुए खास तौर से सरकारी बैंकों ने अपनी बेंचमार्क प्रधान ऋण दरों से नीचे की दर पर कर्ज देना लगभग बंद कर दिया था। लेकिन जैसे ही बाजार में नकदी का प्रवाह बढ़ा इन बैंकों ने अपनी रणनीति को दुरुस्त करते हुए वापस सब बीपीएलआर दरों पर कर्ज देना शुरू कर दिया है।
हालांकि, रियल एस्टेट की व्यावसायिक परियोजनाओं के लिए कर्ज मिलने में अभी मुश्किलें आ रही है लेकिन विनिर्माण क्षेत्र की बड़ी कंपनियों, होम लोन और छोटी अवधि के कर्जों की ब्याज दरें इकाई अंकों में सिमट आई हैं।
एक सरकारी बैंक के अध्यक्ष कहते हैं, ‘दरें न्यायसंगत होनी चाहिए। अगर आप सस्ती दरों पर कर्ज दे रहे हैं तब डिफॉल्टरों की संख्या भी बढ़ सकती हैं। दूसरी तरफ ब्याज दरें ऊंची होने से ग्राहक कर्ज लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाएंगे। इसलिए हमारे पास सस्ती ब्याज दरों पर कर्ज देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।’
एक अन्य बैंक के मुखिया का कहना है कि बाजार में पर्याप्त नकदी होने के बावजूद भी लोग कर्ज लेने से कतरा रहे हैं। इसलिए सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराकर उन्हें कर्ज लेने के लिए प्रोत्सहित किया जा सकता है।
एक अन्य बैंकर का कहना है, ‘बीपीएलआर की थोड़ी प्रासंगिकता जरूर है। फिलहाल हम 7.5 से 8 फीसदी की दर पर छोटी अवधि के कर्ज दे रहे हैं।’ शुक्रवार को कैबिनेट सचिव के एम चंद्रशेखर के साथ बैठक के बाद अधिकतर बैंकरों ने स्पष्ट कर दिया था कि भले ही उनकी बीपीएलआर 12 से 12.25 फीसदी के बीच हो लेकिन उनके कई कर्ज इससे नीची ब्याज दर पर दिए जा रहे हैं।
फिलहाल बैंकों को 7 फीसदी की दर से फंड मिल रहा है और इन वाणिज्यिक बैंकों द्वारा कम ब्याज दरों पर कर्ज मुहैया कराने से पहले इनकी औसतन ब्याज दर 10 से 10.5 फीसदी के आसपास ही चल रही थी। इस बैठक में शामिल हुए एक अधिकारी का कहना है, ‘सरकारी बैंक अपनी बीपीएलआर दरों में और कमी कर सकते हैं लेकिन छूट भी समान रूप से होनी चाहिए।’
बैंक जिस 7 फीसदी की दर पर फंड हासिल कर रहे हैं, उसमें अगर परिचालन के खर्चे को भी शामिल कर लें तो बैंक औसतन 9 फीसदी की दर से ही कर्ज दे सकते हैं। एक बैंकर का कहना है, ‘हमें डिफॉल्ट जोखिम और सामाजिक बाधाओं को देखते हुए भी कर्ज देने का आंकड़ा बढ़ाना ही होगा।’
इसके अलावा बैंकर सरकार को यह भी बता चुके हैं कि वे कुछ रकम को प्रतिभूतियों में भी लगा रहे हैं। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि अगर नकदी की किल्लत होती है तो बैंक प्रतिभूतियों के जरिये संसाधन जुटा सकें। दूसरी ओर एक सरकारी अधिकारी का कहना है, ‘फिलहाल नकदी की किल्लत जैसी कोई दिक्कत नहीं है।
मरता क्या न करता
डिफॉल्ट का जोखिम उठाने से भी नहीं है गुरेज
बहाई सस्ती दरों पर कर्ज की बयार
कई कर्जों की दर बैंकों के पीएलआर से काफी कम
फिर भी कर्ज लेने में ग्राहक बरत रहे कंजूसी

First Published - April 6, 2009 | 11:19 AM IST

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