भारत के बैंक मार्च 2020 तक के कुल कर्ज का करीब 7.7 प्रतिशत यानी 8.4 लाख करोड़ रुपये कर्ज का पुनर्गठन कर सकते हैं, जिससे कोविड-19 महामारी से उपजे दबाव का प्रबंधन किया जा सके। इंडिया रेटिंग के मुताबिक इसमें कॉर्पोरेट, गैर कॉर्पोरेट- खुदरा, कृषि और एमएसएमई ऋण शामिल होंगे, जिनका पुनर्गठन भारतीय रिजर्व बैंक के हाल के मानकों के मुताबिक हो सकता है।
अगर पुनर्गठन नहीं होता है तो कोविड के बाद 8.4 लाख करोड़ रुपये कर्ज में से करीब 60 प्रतिशत गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बनने की उम्मीद की जा रही है।