स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स (एसऐंडपी) के मुताबिक कोविड की दूसरी लहर के कारण भारत की बैंकिंग व्यवस्था की कर्ज की लागत मार्च 2022 तक 2.2 प्रतिशत के आधार की तुलना में बढ़कर 2.4 प्रतिशत हो सकती है।
एजेंसी ने कहा है कि महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में मजबूत रिकवरी और कर्ज की स्थिति ठहर सकती है। तेज गिरावट की स्थिति में भारत की बैंकिंग व्यवस्था का कमजोर कर्ज बढ़कर सकल कर्ज का 12 प्रतिशत हो सकता है। यह बैंकिंग व्यवस्था के मुनाफे पर असर डाल सकता है। भारत और इंडोनेशिया में बैंकों को हाल के वर्षों में संपत्ति का दबाव ज्यादा रहा है। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले वर्षों में क्रेडिट का नुकसान हमारे दीर्घावधि औसत की के मुताबिक ही रहने की उम्मीद है। एजेंसी के मुताबिक क्रेडिट लॉस ज्यादातर देशों में (एशिया प्रशांत के) दीर्घावधि औसत की उम्मीद से कम बना रहेगा।