कर्ज भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के प्रवर्तक पुनर्भुगतान के लिए बढ़े हुए दबाव का सामना करेंगे क्योंकि बैंक उनकी व्यक्तिगत गारंटी को भुनाने की योजना बना रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को वित्त मंत्रालय से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। इस याचिका में बड़े कर्ज के भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के प्रवर्तकों और फर्मों की व्यक्तिगत गारंटी न भुनाने पर सार्वजनिक बैंकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई है। मंत्रालय इस मामले पर जल्द ही एक परिपत्र जारी कर सकता है। एक बैंकर ने कहा, बैंक अब व्यक्तिगत गारंटी भुनाने के लिए बाध्य होंगे।
विगत में कई प्रवर्तक बड़ा कर्ज हासिल करने के लिए व्यक्तिगत गारंटी दे चुके हैं, जिनमें जेट एयरवेज के पूर्व प्रवर्तक नरेश गोयल, एमटेक ऑटो के पूर्व प्रवर्तक अरविंद धाम, भूषण पावर ऐंड स्टील के पूर्व प्रवर्तक संजय सिंघल, किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रवर्तक विजय माल्या शामिल हैं। माल्या ने भी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए कर्ज पर व्यक्तिगत गारंटी दी थी। जेपी, आलोक इंडस्ट्रीज, लैंको, वीडियोकॉन और भूषण स्टील के प्रवर्तकों ने भी व्यक्तिगत गारंटी दी थी। 12 जून को एसबीआई ने एनसीएलटी मुंबई में अनिल अंबानी की व्यक्तिगत गारंटी भुना ली। आरकॉम को पिछले साल कर्ज समाधान के लिए अदालत में घसीटा गया था। अभी यह मामला एनसीएलटी में लंबित है और कर्ज की रिकवरी के मामले में टेस्ट केस बनेगा। अंबानी के खिलाफ एसबीआई की कार्रवाई तब देखने को मिली जब चीन के बैंकों ने ब्रिटिश अदालत मेंं उनकी गारंटी भुनाने के बाद लंदन में अंबानी के खिलाफ मुकदमा जीत लिया।
सार्वजनिक बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर कर्ज भुगतान में चूक के मामलों में मानक कार्यवाही के तहत व्यक्तिगत गारंटी भुनाई जाती है। लेकिन यह प्रक्रिया उसके बाद अपना असर खो देती है। एक बैंकर ने कहा, यह व्यवस्था की कमजोरी है। डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल में डिक्री जारी होने के बाद भी लेनदार डिक्री को कैसे लागू कराता है, यह सवालों के घेरे में है। इसके लिए लेनदारोंं को सरकार पर निर्भर रहना होता है। उन्होंंने कहा, जब भी ऐसा मौका आता है तब व्यक्तिगत गारंटी समेत सभी उपलब्ध प्रतिभूतियों को भुनाया जाता है। लेनदारों की तरफ से रिकवरी के लिए मुकदमा दायर करने के बाद डीआरटी डिक्री जारी कर सकता है लेकिन वह भी काफी लंबे समय के बाद। उसके बाद भी डिक्री की कीमत खत्म हो जाती है क्योंंकि व्यक्तिगत गारंटी से शायद ही रिकवरी हो पाती है।
एक निजी बैंक के आला अधिकारी ने कहा, व्यक्तिगत गारंटी इस मामले में फायदेमंद है कि उसका इस्तेमाल कर्ज की रिकवरी के लिए धमकाने के लिए होता है। कुछ मामलों में गारंटर भुगतान के लिए आगे आते हैं। पिछले साल नवंबर में दिवालिया संहिता में संशोधन रिकवरी प्रक्रिया में तेजी लाने की खातिर व्यक्तिगत गारंटी को शामिल करने के लिए हुआ था। दिवालिया कंपनियों से बैंक अपने बकाए का औसतन 45 फीसदी ही वसूल पाते हैं। विश्लेषकों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद बैंक उन मामलों में कार्रवाई के लिए बाध्य होंगे जिसे कोरोना महामारी से पहले एनसीएलटी में संदर्भित किया गया है। चूक करने वाली कंपनियों की व्यक्तिगत गारंटी से जुड़ा दिवालिया प्रावधान 1 दिसंबर, 2019 से लागू हो चुका है। इस प्रावधान के तहत तीन आवेदन मार्च के आखिर तक अपील प्राधिकरण के पास जमा कराए जा चुके हैं। (साथ में अभिजित लेले)