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बैंकों में रहेगी पर्याप्त पूंजी, झेल जाएंगे बड़े आर्थिक झटके: RBI रिपोर्ट

उद्योगों की बात करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि बुनियादी ढांचा (बिजली को छोड़कर) और पेट्रोलियम के अलावा सभी प्रमुख उद्योगों में परिसंपत्तियां बेहतर हुई हैं।

Last Updated- December 28, 2023 | 10:56 PM IST
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के बदलते आयाम, Banking Credit: Changing Dimensions of the Indian Banking Sector

भारतीय बैंकों की शुद्ध गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) सितंबर के अंत में घटकर 0.8 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गईं और पूंजी पर्याप्तता अनुपात 16.6 फीसदी हो गया। इस कारण बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने दिसंबर की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा कि स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों के मुताबिक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में अच्छी खासी पूंजी है और शेयरधारकों ने नई पूंजी नहीं डाली तब भी ये वृहद आर्थिक झटके झेल जाएंगे।

रिपोर्ट में कहा गया कि सभी प्रकार की परिसंपत्ति की गुणवत्ता बेहतर हुई है मगर कृषि क्षेत्र में फंसे हुए ऋण 7 फीसदी के आंकड़े के साथ अब भी ज्यादा हैं। कुल मिलाकर खुदरा कर्जों की श्रेणी में परिसंपत्ति की गुणवत्ता बेहतर गई है मगर क्रेडिट कार्ड में प्राप्तियां कुछ सुस्त हैं।

उद्योगों की बात करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि बुनियादी ढांचा (बिजली को छोड़कर) और पेट्रोलियम के अलावा सभी प्रमुख उद्योगों में परिसंपत्तियां बेहतर हुई हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक 46 बैंकों का कुल पूंजी पर्याप्तता अनुपात सितंबर 2023 में 16.6 फीसदी रहा मगर अक्टूबर 2024 में इसके घटकर 14.8 फीसदी पर रह जाने की आशंका है। अगर दबाव बहुत अधिक रहा तो भी पूंजी 12 फीसदी रहेगी, जो न्यूनतम पूंजी आवश्यकता से अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘कोई अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अगले एक साल में 9 फीसदी न्यूनतम पूंजी आवश्यकता की सीमा से नीचे नहीं जाएगा।’

रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2023 की तुलना में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र में अधिक दबाव मिला। एनबीएफसी के पर्सनल लोन में पिछले चार साल के दौरान 33 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि हुई, जो 15 फीसदी की कुल ऋण वृद्धि दर से अधिक रही।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘चुनिंदा खुदरा ऋण श्रेणियों में पिछले दिनों ऋण भार बढ़ाने से एनबीएफसी की कुल ऋण वृद्धि प्रभावित हो सकती है।’

रिपोर्ट ने आगाह किया कि ऋण के मामले में बैंक एक दूसरे से बहुत जुड़े हुए हैं, जिस कारण एक पर आया जोखिम दूसरों को भी प्रभावित कर सकता है। इस पर नजर रखे जाने की जरूरत है। देश की वित्तीय प्रणाली में संस्थाओं का एक दूसरे पर कुल बकाया बढ़ता जा रहा है और बैंकिंग प्रणाली की कुल संपत्तियों में इसका हिस्सा सितंबर 2023 में 3 साल के उच्चतम स्तर पर था। मगर रिपोर्ट ने यह भी कहा कि इससे किसी बैंक के बंद होने का खतरा नहीं है।

रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक अनिश्चिताओं का असर पड़ने के कारण बैंकिंग प्रणाली की बारीक और लगातार निगरानी करना जरूरी है ताकि किसी भी प्रकार का जोखिम पैदा न हो सके। इसके लिए समझदारी के साथ वित्तीय बफर तैयार करना होगा।

खाते में बची रकम पर नियम आसान

बाजार नियामक सेबी ने शेयर ब्रोकर के पास ग्राहकों के खाते में पड़ी बिना उपयोग वाली राशि के निपटान को लेकर नियम को आसान बनाया है। अब शेयर ब्रोकर ग्राहकों के खाते में पड़ी बिना उपयोग वाली राशि का निपटान तिमाही या माह के पहले शुक्रवार या शनिवार को कर सकते हैं।

कारोबारी सदस्य दिन की समाप्ति पर कोष को लेकर दायित्व पर विचार करने के बाद शेयर बाजार की तरफ से निर्धारित तिथियों पर तिमाही और मासिक आधार पर ग्राहकों की पसंद के अनुसार इस रकम का निपटान करेंगे।

सेबी ने एक परिपत्र में कहा कि जनवरी से मार्च, 2024 के तिमाही निपटान और जनवरी, 2024 के मासिक निपटान के लिए नया नियम लागू होगा।

First Published - December 28, 2023 | 10:56 PM IST

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