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ऋण लेने वालों को सरकारी पैकेज का फायदा मिलना चाहिए

Last Updated- December 08, 2022 | 8:05 AM IST

हाल में ही लघु, छोटे और मध्यम (एमएसएमई) उद्योगों को सरकार द्वारा 7,000 करोड रुपये की विशेष मदद मिलने से अब इन उद्योगों को वित्तीय संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।


यह कहना है सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर एम मल्ला का। सिध्दार्थ के साथ साक्षात्कार में मल्ला ने बताया कि किस तरह से सरकार द्वारा दी जानेवाली सहायता राशि से मांग में तेजी आएगी। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:

सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में जान फूंकने केलिए सहायता राशि की घोषणा किस तरह से फायदेमंद होगी?

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मदद का हाथ बढ़ाए जाने से सिडबी को कम कीमत पर फं ड जुटाने में अब आसानी होगी। इसकेअलावा लघु और छोटे उद्योगों की पूंजी की आवश्यकता भी दूर हो सकेगी।

राहत पैकेज से मिलनेवाले धन का इस्तेमाल हम व्यवसायिक बैंकों, राज्य वित्त निगम और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को कर्ज मुहैया करने में करेंगे, खासकर उनकों जो माइक्रो-क्रेडिट के रास्ते पूंजी उपलब्ध कराते हैं।

सरकार का मकसद इनको धन मुहैया कराकर इनसे छोटे और मझोले उद्योग केलिए पूंजी की उपलब्धता को सुनिश्चित कराना है। इस संबंध में हमारे बोर्ड की जल्द ही बैठक होगी और आगे की योजना पर विचार विमर्श किया जाएगा।

ब्याज दरों के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

आरबीआई से कर्ज हमें रेपो रेट पर ही मिलेगा। हम राज्य वित्त निगम को दीर्घ अवधि के ऋण पहले से ही कम दरों पर  मुहैया कराते आ रहे हैं। जहां तक बैंकों की बात है तो उनकेलिए ब्याज की दर वित्तीय सहायता की अवधि जबकि लघु अवधि के  लिए मुहैया कराया जानेवाल धन काफी कम दरों पर उपलब्ध होगा।

हालांकि दीर्घावधि की वित्तीय मदद के लिए ब्याज की दर थोरी ज्यादा हो सकती है। जहां तक हमारी बात है तो हमारे लिए फंडों की कीमत में कमी आएगी और इसका फायदा हम बैंकों तक भी पहुंचाएंगे।

इस बात को किस तरह से सुनिश्चित करेंगे कि बैंक भी इसका फायदा अपने ग्राहकों को देते हैं?

बैंकों ने पहले ही अपने प्रधान कर्ज की दरों में कटौती की है और आशा की जाती है कि नकदी का प्रवाह बढने से जमा दरों में भी कमी की जाएगी।

बैंक अपने ग्राहकों तक इसका फायदा पहुंचाए, इसकेलिए हम कु छ नियम लागू करने पर भी विचार कर रहे हैं।
हमारा मानना है कि लेनदारों को निश्चित रूप से इस सरकारी पैकेज का फायदा मिलना चाहिए।

हालांकि अभी नकदी की स्थिति बेहतर हो गई है लेकिन इसके बावजूद एमएसएमई बैंकों को लेकर अपनी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं। सरकार और आरबीआई की ओर से मिल रही मदद से किस तरह से उनकी समस्या का समाधान होगा?

बैंकों की एमएसएमई में हमेशा से अपने कारोबार को बढाने मं दिलचस्पी रही है।

हालांकि पिछले कुछ महीनों में नीति नियंताओं को इस बात की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है कि उधार लेने में कुछ क्षेत्रों के साथ काफी प्रतिस्पर्धाओं का सामना करना पड रहा है।

अब आरबीआई और सरकार द्वारा पूंजी की कमी को दूर करने के लिए उठाए गए उपायों केबाद स्थिति में निश्चित रूप से सुधार आएगा।

मांग में तेजी लाने के लिए उपाय जोर-शोर से किए जा रहे हैं। बैंकों केलिए अब रिवर्स रेपो में अपने पैसों को डालना अब उतना फायदेमंद नहीं है क्योंकि इससे बैंकों को मात्र 5 फीसदी की दर पर रिटर्न मिलेगा।

सरकार और आरबीआई द्वारा वित्तीय सहायता देने के बाद क्या आपकी उधारी में कमी आएगी?

इस साल अब तक हमने व्यवसायिक नियमों के तहत 1,300 करोड़ रुपये उधार लिए हैं। हाल के दिनों में व्यवसायिक स्त्रोतों से फंड जुटाना काफी महंगा हो गया था।

हालांकि अब जबकि इस खर्च में धीरे-धीरे कमी आ रही है, इससे सिडबी को काफी मदद मिली है। अगर ऐसा नहीं होता तो हमे फंडों के जबरदस्त कीमतों से जूझना पड़ सकता था।

First Published - December 9, 2008 | 9:58 PM IST

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