मई में असफल ऑटो डेबिट रिक्वेस्ट या बाउंस दर मूल्य के हिसाब से 38 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई का दबाव उपभोक्तों की आमदनी पर असर डाल रहा है और ब्याज दरें बढ़ने के दौर में कर्ज की किस्तें बढ़ रही हैं, उसके बावजूद ऐसा हुआ है।
नैशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (एनएसीएच) के आंकड़ों के मुताबिक मई में बाउंस रेट घटकर मूल्य के हिसाब से 22 प्रतिशत है, जो अप्रैल से 50 आधार अंक कम है और अप्रैल 2019 के बाद का यह सबसे निचला स्तर है। कोविड के पहले की औसत बाउंस दर मूल्य के हिसाब से 24-25 प्रतिशत थी। मात्रा के हिसाब से बाउंस दर मई में घटकर 33 माह के निचले स्तर 29 प्रतिशत पर रही, जो अप्रैल की तुलना में 87 आधार अंक कम है। कोविड के पहले की औसत बाउसं दर मात्रा के हिसाब से 30-31 प्रतिशत थी।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मार्च 2022 में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी के बाद बाउंस दर में सुधार से संकेत मिलता है कि आगे चलकर वित्त वर्ष 23 में चूक कम होगी। साथ ही वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही की कमाई से पता चलता है कि वित्तपोषकों की संपत्ति की गुणवत्ता की चिंता कम हो रही है और ध्यान अब वृद्धि की ओर केंद्रित हो रहा है।’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘महंगाई का दबाव, इनपुट लागत में बढ़ोतरी और बेंचमार्क दरों में अचानक बढ़ोतरी को देखते हुए हम संपत्ति की गुणवत्ता पर अभी
नजर रखेंगे।’
दर तय करने वाले निकाय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने महंगाई पर काबू पाने के लिए बेंचमार्क नीतिगत दर, रीपो दर मई के बाद से 90 आधार अंक बढ़ा दिया है। इसकी वजह से वाह्य बेंचमार्क से जुड़े कर्ज की लागत भी उसी अनुपात में बढ़ गई है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2021 तक 39 प्रतिशत बैंक ऋण, जिसमें 58.2 प्रतिशत आवास ऋण शामिल हैं, बाहरी मानक से जुड़े हुए थे। कर्जदाताओं ने भी मई में एमपीसी द्वारा रीपो रेट में बढ़ोतरी किए जाने के बाद से मार्जिनल कास्ट आफ फंड बेस्ड लेंटिंग रेट (एमसीएलआर) बढ़ा दिए हैं।
इक्रा में फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग्स के वीपी अनिल गुप्ता ने कहा, ‘महंगाई के दबाव और ब्याज दर में बढ़ोतरी के बावजूद बाउंस दरों में सुधार जारी है, लेकिन आने वाले महीनों में इस पर असर पड़ सकता है। दरों में बढ़ोतरी का असर बाउंस दर के आंकड़ों में अभी नजर नहीं आ रहा है और यह जून और उसके बाद दिखना शुरू हो जाए। संख्या के हिसाब से बाउंस दर, मूल्य के हिसाब से बाउंस दर की तुलना में ज्यादा है। इससे संकेत मिलता है कि सीमांत उधारी लेने वालों के ऊपर पुनर्भुगतान का दबाव बना हुआ है।’
नीचे की तरफ चल रही बाउंस दर मार्च 2022 में अचानक बढ़ गई, लेकिन अप्रैल में फिर कम हो गई। मार्च में मूल्य एवं मात्रा दोनों हिसाब से बाउंस दर फरवरी की तुलना में क्रमशः प्रत्येक में 40 आधार अंक बढ़ोतरी हुई थी।
जून और नवंबर 2020 में बाउंस तरह शिखर पर पहुंच गई थी। इससे कोविड-19 महामारी के कारण व्यवस्था पर दबाव के संकेत मिलते हैं। दिसंबर 2020 और उसके बाद से इसमें कमी शुरू हुई और लोगों ने किस्तो, युटिलिटी और बीमा प्रीमियम का भुगतान शुरू कर दिया।
बहरहाल अप्रैल 2021 में धारणा एक बार फिर पलटी और महामारी की दूसरी लहर में बाउंस दर बढ़ गई। दूसरी लहर में 2 महीने बाउंस दर में बढ़ोतरी के बाद फिर से जुलाई 2021 और उसके बाद बाउंस दर घटने लगी। उसके बाद मार्च 2022 में बाउंस दर मामूली बढ़ी। वित्त वर्ष 22 में मूल्य के हिसाब से बाउंस दर 25.88 प्रतिशत और मात्रा के हिसाब से 34.75 प्रतिशत थी।