महामारी शुरू होने के बाद से दिसंबर महीने में ऑटो डेबिट भुगतान बाउंस या बाउंस दर निचले स्तर पर है। जुलाई 2021 के बाद से ही यह धारणा जारी है। इससे संकेत मिलता है कि कोविड-19 की दूसरी लहर का असर कम होने के बाद संपत्ति की गुणवत्ता के हिसाब से बैंकों का अच्छा दौर चल रहा है।
नैशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (एनएसीएच) के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में बाउंस दर मात्रा के हिसाब से 29.9 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 24.4 प्रतिशत थी। मात्रा के हिसाब से बाउंस दर अगस्त 2019 के बाद के निचले स्तर पर है और मूल्य के हिसाब से यह सितंबर 2019 के बाद के निचले स्तर पर है।
मैकक्वायर कैपिटल के एसोसिएट डायरेक्टर सुरेश गणपति ने कहा, ‘इससे तीसरी तिमाही में संपत्ति गुणवत्ता के हिसाब से बैंकों के लिए बेहतर दौर होने के संकेत मिलते हैं। संग्रह की क्षमता में सुधार होने से यह धारणा वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही में जारी रहने की संभावना है।’
मूल्य के हिसाब से बाउंस दर जुलाई-सितंबर की तुलना में 220 आधार अंक (बीपीएस) बेहतर है, जो अर्थव्यवस्था में रिकवरी के हिसाब से इस साल (वित्त वर्ष 22) की बेहतर तिमाही थी। मैक्वायर रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक मासिक आधार पर देखें तो बाउंस दर में मात्रा और मूल्य के आधार पर क्रमश: 130 आधार अंक और 70 आधार अंक की गिरावट आई है।
लेकिन कोविड के पहले (2017-2019) के दौरान दिसंबर में बाउंस दर औसतन मात्रा के हिसाब से 26 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 22 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मौजूदा बाउंस दर मूल्य के हिसाब से कोविड के पहले के स्तर से 300-400 आधार अंक ज्यादा है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक की बाउंस दर सबसे कम और इंडसइंड बैंक की बाउंस दर सबसे ज्यादा है।
इक्रा में फाइनैंसियल सेक्टर रेटिंग्स के वाइस प्रेसीडेंट अनिल गुप्त ने कहा, ‘बाउंस दरों में लगातार सुधार हो रहा है और दिसंबर में कोविड के पहले के स्तर की तुलना में बहुत नीचे है। तीसरी लहर के कारण लॉकडाउन व प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिनका असर अभी कम है। हालांकि अगर वायरस के प्रसार का स्तर देखें तो प्रतिबंध बढ़ सकते हैं और इसकी वजह से फरवरी और उसके बाद बाउंस दर बढ़ सकती है। आगे वायरस के प्रसार पर बाउंस दर निर्भर होगी। बाउंस दर बढऩे की स्थिति में कर्जदाताओं द्वारा मामूली चूक को नजरंदाज करने की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है।’
एनपीसीआई द्वारा संचालित बल्क पेमेंट सिस्टम एनएसीएच- एक से कई क्रेडिट ट्रांसफर जैसे लाभांश, ब्याज, वेतन, पेंशन आदि की सुविधा के साथ बिजली, गैस, टेलीफोन, पानी, कर्ज की सावधिक किस्तों म्युचुअल फंड में निवेश, बीमा प्रीमियम आदि के भुगतान की संग्रह की सुविधा मुहैया कराता है। यह इंटर बैंक मैंडेट्स या बैंक व एनबीएफसी या फिनटेक के बीच भी काम करता है।
जून से नवंबर 2020 के बीच रिकॉर्ड संख्या से व्यवस्था में तनाव का पता चलता है, जिसके बाद दिसंबर 2020 से बाउंस दरों में कमी आनी शुरू हुई। इसके बाद इक्वेटेड मंथली इंस्टालमेंट (ईएमआई) , युटिलिटी, बीमा प्रीमियम के भुगतान में ज्यादा नियमितता आने लगी। बहरहाल अप्रैल 2021 के बाद धारणा बदल गई क्योंकि महामारी की दूसरी लहर के कारण बाउंस दरें बढ़ीं। उसके बार फिर जुलाई 2021 में यह धारणा उलट गई और बाउंस दरों में कमी आनी शुरू हो गई, क्योंकि दूसरी लहर का असर कम होना शुरू हो गया था।
सितंबर तिमाही (वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही) में कर्जदाताओं ने अपने बही खाते का उल्लेख करते हुए संकेत दिए कि उनकी संग्रह की क्षमता अप्रैल-जून तिमाही के ऊपर गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बाउंस दरें महामारी आने के भी बढ़े स्तर पर थीं, क्योंकि अर्थव्यवस्था में मंदी थी। अगर हम अप्रैल 2019 के आंकड़ों को देखें तो बाउंस दर 27.7 प्रतिशत और 22.2 प्रतिशत थी।
बाउंस दरों को व्यवस्था में दबाव का पैमाना नहीं माना जा सकता है, लेकिन यह इस दिशा में एक संकेत देता है। एनबीएफसी और फिनटेक की डिजिटल उधारी में बहुत तेज बढ़ोतरी हुई है और इन क्षेत्रों मे नए और अलग तरह के ग्राहक सामने आए हैं, जो जोखिम के हिसाब से बहुत आकर्षक ग्राहक नहीं है और एनबीएफसी में ज्यादा बाउंस दर की एक वजह हो सकती है।
2020-21 में एनएसीएच के माध्यम से असफल ऑटो डेविट अनुरोध कुल ऑटो डेविट अनुरोधों का 38.91 प्रतिशत था। 2019-20 में यह 30.3 प्रतिशत था। 2018-19 में यह 23.3 प्रतिशत था।