भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा महंगाई पर काबू पाने के मकसद से बैंकों के अधिशेष धन के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से को रोकने की जान-बूझकर की गई कार्रवाई के कारण बैंकिंग व्यवस्था में बुधवार को भी नकदी की कमी बनी रही। इसकी वजह से नकदी की उपलब्धता अपर्याप्त रही और करों की निकासी की वजह से इसमें और बढ़ोतरी हुई है।
चालू वित्त वर्ष में पहली बार मंगलवार को बैंकिंग व्यवस्था में नकदी घाटे की तरफ गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को 15,552 करोड़ रुपये डाले हैं, जबकि सोमवार को 23,644 करोड़ रुपये डाले गए थे।
इसी के साथ भारित औसत काल रेट और ट्राई पार्टी रीपो रेट भी 11 अगस्त के बाद कुल मिलाकर रीपो रेट से ऊपर बने रहे। इनका निपटान क्रमशः 6.76 प्रतिशत और 6.75 प्रतिशत पर हुआ।
रिजर्व बैंक द्वारा बढ़े कैश रिजर्व रेश्यो (आई-सीआरआर) लागू करने के साथ इस सप्ताह की शुरुआत से जीएसटी भुगतान के खाते में धन निकलने के कारण बैंकिंग व्यवस्था की नकदी में कमी आई है।
बहरहाल रिजर्व बैंक विदेशी विनिमय बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है, जिससे रुपये को आगे और लुढ़कने से बचाया जा सके।
बाजार हिस्सेदारों का अनुमान है कि जीएसटी भुगतान के कारण कुल 1.5 लाख करोड़ रुपये निकले हैं। इसके साथ ही आईसीआरआर लागू करके रिजर्व बैंक ने 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रोका है।