वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण उपजे संकट के कारण आने वाली तिमाहियों में मकानों और वाहनों के लिए कर्ज की मांग में कमी आने की संभावना है क्योंकि लोग संकट के समय में नकदी बचाकर रखना पसंद करेंगे। वहीं नकदी मुहैया कराने वाले उत्पादों जैसे क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन की मांग मध्यम रहने की संभावना है। क्रेडिट इन्फार्मेशन ब्यूरो सिबिल ने यह जानकारी दी है।
इसके पहले के दशक की अंतिम मंदी के विपरीत क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो का कहना है कि क्रेडिट कार्डों व पर्सनल लोन की मांग थोड़े सुधार के साथ बनी रहेगी क्योंकि ग्राहक किसी भी व्यक्गित वित्तीय समस्या की खाईं को पाटने के लिए अपने हाथ में नकदी रखना पसंद करेंगे। इनकी सामान्य उपलब्धता और पहुंच पहले की तुलना में अब बहुत ज्यादा बढ़ी हुई है।
इसके साथ ही फिनटेक ने भी नए और ज्यादा लचीले उत्पाद पेश किए हैं और डिजिटल माध्यमों से इनकी पहुंच बढ़ी है। साथ ही कोविड-19 संकट की प्रकृति की वजह से डिजिटल भुगतान की जरूरत बढ़ी है, जो क्रेडिट कार्ड बेहतर तरीके से मुहैया करा रहे हैं।
सिबिल ने कहा है कि ग्राहक विवेकाधीन खर्च कम कर रहे हैं और उनकी वहनीयता घटेगी। साथ ही उनकी यात्रा जरूरतें बिल्कुल खत्म हो जाएंगी। एक बयान में सिबिल ने कहा कि सुरक्षित उधारी के उत्पाद जैसे ऑटो लोन और होम लोन की मांग कुछ समय तक कमजोर रहने की संभावना है।
लॉकडाउन का असर बहुत व्यापक है। ग्राहकों की वित्तीय स्थिति में नाटकीय बदलाव हुआ है और तमाम लोगों को वेतन में कटौती और छंटनी से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में ग्राहकों की धारणा में भारी बदलाव आया है और खपत की मांग और खर्च में उल्लेखनीय कमी आई है।
ट्रांस यूनियन सिबिल के वाइस प्रेसीडेंट (रिसर्च ऐंड कंसल्टिंग) अभय केलकर ने कहा कि कोविड-19 का सामाजिक, वित्तीय और आर्थिक असर होगा और इसकी वजह से खुदरा क्रेडिट बाजार को नए सिरे से तालमेल बिठाना पड़ेगा। भारत का खुदरा क्रेडिट कार्ड बाजार अभी दुनिया के अन्य बाजारों की तुलना में बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रहा है। बहरहाल इस समय वैश्विक संकट है और इससे कोई भी बाजार सुरक्षित नहीं बचा है।