कोविड-19 की दूसरी लहर की गंभीरता को देखते हुए कर्जदाता अब कर्ज के भुगतान पर 3 महीने के मॉरिटोरियम और उन उधारी लेने वाले कर्जदारों के कर्ज का पुनर्गठन का मौका चाहते हैं, जिन्होंने पिछले साल के नियामकीय पैकेज के तहत पुनर्गठन का लाभ नहीं लिया था और अब कोविड के कारण दिक्कत महसूस कर रहे हैं।
वरिष्ठ बैंकरों का कहना है कि स्थिति गंभीर हो गई है और इस समय अर्थव्यवस्था का महामारी के असर से बचना कठिन है। आतिथ्य क्षेत्र जैसे कुछ क्षेत्रों पर पहली लहर की तुलना में कहीं ज्यादा असर पड़ा है।
बैंकों का अनुरोध है कि नियामकीय पैकेज को जून 2021 तक बढ़ाया जाए और नई विंडो को लागू करने के लिए और वक्त दिया जाए, या नई विंडो लाई जाए। कोविड नियामकीय पैकेज के तहत पुनर्गठन का वक्त दिसंबर 2020 था और इसे जून 2021 तक लागू किया जाना है।
यह राहत खासकर मझोले और छोटे उद्यमों के लिए मांगी जा रही है, जो बहुत ज्यादा दबाव में हैं और उनकी झटकों को झेलने की क्षमता कम है।
नियामकीय पैकेज की मांग पिछले महीने से ही की जा रही है। इंडियन बैंक एसोसिएशन के माध्यम से बैंकों ने भारतीय रिजर्व बैंक से 3 राहतों के लिए संपर्क किया है। इनमें कार्यशील पूंजी के आकलन का विस्तार, किए गए इनवोकेशन के लिए स्टैंडस्टिल क्लॉज, उन परियोजनाओं के लिए वाणिज्यिक परिचालन तिथि (सीओडी) का एक साल के विस्तार जिनका सीओडी 31 मार्च, 2021 के पहले हो गया है, शामिल है।
वित्तीय कंपनियों के लॉबी समूह फाइनैंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल (एफआईडीसी) ने 28 अप्रैल, 2021 को कहा था कि जिन लोगों ने पहले (2020 में) पुनर्गठन का लाभ उठाया है, उन्हें भी दूसरा मौका दिया जाना चाहिए।
बैंकों ने आतिथ्य क्षेत्र के लिए विशेष व्यवस्था करने को भी लिखा है, जहां पुनर्गठन का 2 साल का विंडो पर्याप्त नहीं है। नियामक ने इस दिशा में कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है। आतिथ्य उद्योग को बचाने के लिए एक और कदम उठाया गया है। इस क्षेत्र की कार्यशील पूंजी की सीमा अब 40 प्रतिशत हो गई है, जो पहले की 20 प्रतिशत तय सीमा से ज्यादा है।
बैंकों के कैपिटल कंजर्वेशन बफर मानकों के मामले में रिजर्व बैंक ने सीसीबी का 0.625 प्रतिशत लागू करने की तिथि 1 अप्रैल, 2021 से टालकर 1 अक्टूबर, 2021 कर दिया है। यह कोविड-19 के कारण दबाव बने रहने व रिकवरी प्रक्रिया में सहयोग के लिए किया गया है।
गोल्डमैन सैक्स ने भारत का वृद्धि अनुमान घटाया
अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप और उसके चलते कई राज्यों तथा शहरों में लागू लॉकडाउन के मद्देनजर वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान को 11.7 प्रतिशत से घटाकर 11.1 प्रतिशत कर दिया। गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘लॉकडाउन की तीव्रता पिछले साल के मुकाबले कम है। फिर भी, भारत के प्रमुख शहरों में सख्त प्रतिबंधों का असर साफ दिखाई दे रहा है।’ शहरों में सख्त लॉकडाउन से सेवाओं पर खासतौर से असर पड़ा है। इसके अलावा बिजली की खपत, और अप्रैल में विनिर्माण पीएमआई के स्थिर रहने से विनिर्माण क्षेत्र पर असर पडऩे के संकेत भी मिल रहे हैं।
गोल्डमैन सैक्स ने कहा, ‘कुल मिलाकर, अधिकांश संकेतक अभी भी बता रहे हैं कि पिछले साल दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) के मुकाबले इस बार असर कम पड़ा है।’ ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में तेजी वापस लौटने की उम्मीद है। भाषा