केरल स्थित धनलक्ष्मी बैंक के बोर्ड ने बैंक के दैनिक मामलों के प्रबंधन के लिए निदशकों की समिति (सीओडी) नियुक्त की है। बैंक के शेयरधारकों द्वारा प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सुनील गुरबक्सनी के खिलाफ वोटिंग किए जाने के एक दिन बाद यह कदम उठाया गया। यह ध्यान देन की बात है कि लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) में पिछले सप्ताह एलवीबी के एमडी एवं सीईओ एस सुंदर के खिलाफ शेयरधारकों द्वारा वोटिंग किए जाने के बाद आरबीआई नियुक्त समिति दैनिक मामले देख रही है।
सूत्रों और धनलक्ष्मी के शेयरधारकों ने कहा है कि सीओडी नए प्रबंध निदेशक एवं सीईओ की नियुक्ति होने तक बैंक के दैनिक मामलों का प्रबंधन करेगी। उनका दावा है कि गुरबक्सनी ने उनके खिलाफ वोटिंग के शेयरधारकों के निर्णय के बाद इस्तीफा दिया। लेकिन गुरबक्सनी से इस बारे में तुरंत कोई प्रतिक्रिया हासिल नहीं की जा सकी है।
बोर्ड द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय सीओडी में स्वतंत्र निदेशक जी सुब्रमोनिया अय्यर, चेयरमैन जी राजागोपालन और पी के विजयकुमार शामिल हैं।
गुरबक्सनी को फरवरी 2020 से तीन साल की अवधि के लिए बैंक के एमडी एवं सीईओ के तौर पर नियुक्त किया गया था। नियामकीय जानकारी के अनुसार गुरबक्सनी की नियुक्ति के लिए लाए गए रिजोल्यूशन के खिलाफ 90.49 प्रतिशत मत होने से यह प्रस्ताव विफल रहा। सिर्फ 9.51 प्रतिशत मत उनकी नियुक्ति के पक्ष में थे। एजीएम में पेश 10 प्रस्तावों में से शेयरधारकों ने 9 को मंजूरी दी और 1 को विफलता मिली।
यह दूसरा निजी बैंक है जिसमें हाल के दिनों में शेयरधारकों ने प्रबंध निदेशक और सीईओ की नियुक्ति के खिलाफ वोटिंग की है। 25 सितंबर को, लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों ने एजीएम में सात निदेशकों के लिए वोटिंग की जिनमें एमडी और सीईओ भी शामिल थे।
हालांकि एलवीबी के मामले में, आरबीआई ने निदेशकों को समान दिन सीओडी बनाने को कहा था, लेकिन धनलक्ष्मी बैंक के मामले में नियामक चुप्पी साधे हुए है। 28 सितंबर, 2020 को, (एजीएम से पहले) बेंगलूरु क्षेत्रीय कार्यालय में उसके महाप्रबंधक की नियुक्ति की गई थी, और डी के कश्यप को धनलक्ष्मी के अतिरिक्त निदेशक के तौर पर दो वर्षों के लिए नियुक्त किया गया।