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मंदी से घबराए लोगों ने डीमैट खाते खोलना कम किया

Last Updated- December 07, 2022 | 4:42 PM IST

बाजार में लगातार जारी उतार-चढ़ाव और निवेशकों के शेयर बाजार पर घटते विश्वास से नए डीमैट एकाउंट की संख्या में तेजी से कमी आई है। यह शेयर बाजार के प्रति आम रुझान को भी दिखाता है।


प्राथमिक बाजार में जारी होने वाले आईपीओ ने भी निवेशकों के घावों को और गहरा किया है। साल 2007 में आईपीओ को खरीदने के लिए निवेशकों ने भारी संख्या में डीमैट एकाउंट खुलवाए थे। इसका कहीं न कहीं कारण रिकार्ड संख्या में आए आईपीओ भी रहे। 

एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार जून 2007 से जनवरी 2008 के बीच करीब 12.78 लाख डीमैट एकाउंट थे। हर महीने खुलने वाले एकाउंट का औसत करीब 1.5 लाख रहा था। लेकिन बाजार में गिरावट का दौर शुरू होने के बाद डीमैट एकाउंट की संख्या में तेजी से गिरावट आई।

फरवरी से जून के बीच सिर्फ दो लाख नए डीमैट एकाउंट खुले। इसी तरह सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (सीएसडीएल) के आंकडों के अनुसार जून 2007 से जनवरी 2008 के बीच 10 लाख नए एकाउंट खोले गए थे। लेकिन फरवरी से जून मंहगाई और मंदी के जोर के बीच सिर्फ चार लाख नए डीमैट एकाउंट खुले।

एक सीएसडीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पैन कार्ड न होने की वजह से हमनें 3.8 लाख खातों को बंद कर दिया है जबकि 1.5 लाख खातों को निल बैलेंस और पैन कार्ड न होने की वजह से बंद किया जाएगा। जनवरी की अपनी अधिकतम ऊंचाई से 35 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट आ जाने की वजह से शेयर बाजार में सूचित कंपनियों की परिसंपत्ति में तेजी से गिरावट आई है।

बाजार में आकर्षक मूल्य पर स्टॉक उपलब्ध होने के बावजूद निवेशक अब कोई जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं। इसके अलावा जारी वैश्विक संकट और अन्य घरेलू वजहों जैसे बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों की वजह से हालात और खराब हुए हैं। निवेशक पहली बार इक्विटीज में निवेश आईपीओ के जरिए करना चाहते हैं लेकिन रिलायंस पॉवर के ऑफर के बाद इसमें कोई नई गतिविधि नहीं देखी जा रही है।

First Published - August 12, 2008 | 11:23 PM IST

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