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भरोसा जीतने में लगीं मंदी में फंसी वित्त कंपनियां

Last Updated- December 07, 2022 | 10:05 PM IST

प्रिय साथियों,
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि वित्तीय बाजार में मची उथल-पुथल से हम सभी कठिन दौर से गुजर रहे हैं। लेकिन मेरा विश्वास है कि यह  सिटी बैंक के लिए एक अवसर है। हमारा इतिहास इस बात का गवाह है।
-विक्रम पंडित, सीईओ, सिटी ग्रुप

एआईजी के भारत स्थित परिसंपत्ति प्रबंधन कारोबार में पूंजी की कोई कमी नहीं है। हम अपने यूनिट होल्डरों के भरोसे पर खरा उतरने का  प्रयास पूरे समर्पण के साथ कर रहे हैं।
-रवि मेहरोत्रा, प्रमुख एशिया पैसेफिक मैनेजमेंट कंपनी, एआईजी निवेश

डीएसपी मेरिल लिंच (डीएसपीएमएल) कैपिटल के डिबेंचरों में कोई फर्क नहीं आया है।  डिबेंचर के प्रमुख प्रोटेक्शन फीचर और इससे जुड़ी अन्य शर्तों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
डीएसपी मेरिल लिंच का असेट प्रबंधन कंपनी को आधिकारिक संदेश

पिछले सप्ताह वॉल स्ट्रीट ने 1929 के ग्रेट डिप्रेशन काल के बाद सबसे गहरा संकट का सामना किया जब 158 साल पुराने लीमन ब्रदर्स ने  दिवालिया होने के लिए याचिका दायर की, मेरिल लिंच को बैंक ऑफ अमेरिका ने अधिग्रहित कर लिया और एआईजी को दिवालिया होने से  बचाने के लए फेडरल रिजर्व ने 85 अरब डॉलर की मदद मंजूर कर दी।

इसके बाद पिछले दिनों गोल्डमैन सैक्स और मोर्गन स्टेनली ने अपना  निवेश बैंकर का चोला उतार फेंका और सामान्य वाणिज्य बैंकर बन गए। इस समय में जब फिनांशियल उद्योग संशय के दौर से गुजर रहा है,  इस तरह का संवाद वित्तीय सेवा प्रदान कर रही कंपनियों के लिए बेहद आवश्यक हो गया है।

इसको लेकर म्युचुअल फंड उद्योग खास तौर  पर सक्रिय है। अगस्त 2008 तक 5.4 लाख करोड़ रुपये की यह इंडस्ट्रीज सुरक्षित विकल्पों पर खास ध्यान दे रही है।

बैंक ऑफ अमेरिका द्वारा मेरिल लिंच के अधिग्रहण के बाद डीएसपी मेरिल लिंच म्युचुअल फंड के पास निवेशकों के फोन कॉल्स की बाढ़  सी आ गई जो अपने धन की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे।

इसके बाद डीएसपीएमल म्युचुअल फंड को यह बयान जारी करना पड़ा कि इस फंड में मेरिल लिंच की हिस्सेदारी ब्लैकरॉक को बेची जा चुकी है। इस कंपनी की भारत में 20,000 करोड़ रुपये की एएमसी है।

हालांकि  विदेशी कंपनी के साथ गठजोड़ करने वाली दूसरी कंपनियों पर हाल फिलहाल इसका कोई असर नहीं पड़ा है फिर भी उन्हें अपनी स्थिति  स्पष्ट करने के लिए बयान जारी करना पड़ा।

37,000 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करने वाली कंपनी बिरला सन लाइफ के मुख्य  निवेशक अधिकारी ए. बालाकृष्णन ने स्पष्ट किया कि उनकी सभी स्कीमों के पोर्टफोलियो में केवल ऊंचे दर्जे के पेपर शामिल हैं।

इसमें हाल  ही में इस क्षेत्र में आने वाले फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लॉन भी शामिल है। बिरल सन लाइफ ने भी यह भी साफ किया है कि लीमन ब्रदर्स के साथ  उसका डेरिवेटिव एक्सपोजर भी बिलकुल नहीं है।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निलेश शाह ने भी पत्र लिखकर साफ किया है कि निवेशकों का धन पूरी तरह से सुरक्षित है।

कंपनी की पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवा(पीएमएस) को कई उत्पादों की गैप  रिस्क को लीमन ब्रदर्स की भारतीय इकाई से गारंटी मिली हुई है।

हालांकि भारतीय एएमसी कंपनियां पूरी तरह से भयमुक्त नहीं है। 88,000 करोड़ रुपये का प्रबंधन करने वाले रिलायंस म्युचुअल फंड को भी  इस भय को दूर करने के लिए अपने पीएमस ग्राहकों को एक नोट जारी करना पड़ा।

कंपनी के डिबेंचर के मामले का प्रबंधन मेरिल लिंच करती है। रिलायंस ने अपने नोट में साफ किया है कि मेरिल के बिक जाने के बाद भी इन डिबेंचरों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला।

इसकी वजह है कि कंपनी ने अपने डिबेंचर सुरक्षित रखें हैं इसलिए उस पर कुछ खास असर नहीं पड़ने वाला है।

First Published - September 24, 2008 | 9:39 PM IST

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