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कंपनी के आधार पर हो फिनटेक का नियमन : रवि शंकर

Last Updated- December 12, 2022 | 12:41 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा है कि फिनटेक कंपनियों पर रिजर्व बैंक का नियमन गतिविधि के आधार से अधिक इकाई के आधार होना चाहिए। 
गूगल और एमेजॉन की ओर से जमा उत्पादों की सुविधा देने के क्षेत्र में उतरने की घोषणा के बाद पहली बार रिजर्व बैंक के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने बड़ी तकनीकी कंपनियों पर नियमन को लेकर बयान जारी किया है। जमा क्षेत्र पर बैकिंग नियामक की विशेष नजर होती है।
अपने भाषण के दौरान उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि क्यों फिनटेक को जमा के क्षेत्र में उतरने की अनुमति नहीं है और वे केवल भुगतान सेवा प्रदाता हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई फिनटेक कंपनी ऋण और जमा उत्पादों जैसी तरलता सेवाएं मुहैया कराती है तो उनका विनियमन अन्य तरलता सेवा प्रदाताओं जैसे कि बैंक की तर्ज पर कठोर होना चाहिए।
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2021 में रवि शंकर के मुख्य भाषण में कई बार बड़ी तकनीकी कंपनियों और उनके नियमन के बारे में उल्लेख किया गया। 
उन्होंने कहा कि चूंकि फिनटेक समूचे बैंकिंग परितंत्र में बदलाव ला रही है लिहाजा नियमन भी उसी के अनुरूप बनाना होगा। फिनटेक कंपनियों के काम में व्यापक विविधता को देखते हुए नियामकीय दायरे को विस्तारित करने की अत्यंत आवश्यकता है। 
डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘नियमन के दृष्टिकोण में भी विनियमित किए जाने वाले संस्था के प्रकार को शामिल करने की जरूरत है। एक ओर जहां अधिकांश मामलों में समान तरह की गतिविधियों में एक जैसे नियमन को लागू करना चाहिए वहीं जब बड़ी तकनीकी कंपनियों द्वारा किए जाने वाले वित्तीय गतिविधि के नियमन की बात आती है तो हो सकता है कि इकाई आधारित नियमन के मुकाबले गतिविधि आधारित नियमन कम प्रभावी हो।’
ऐसे समय पर जब साइबर सुरक्षा जोखिमों ने सभी के लिए वित्तीय जोखिमों को बढ़ा दिया है तब बड़े आकार की वित्तीय बाजार बुनियादी ढांचा इकाइयों या बड़ी तकनीकी कंपनियों के साथ व्यवहार करते समय प्रणालीगत जोखिम, परिचालन जोखिम और प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने वाले जोखिम सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। इस क्षेत्र में बड़ी तकनीकी कंपनियों के कदम रखने से वित्तीय और गैर-वित्तीय कंपनियों के बीच का अंतर तेजी से धुंधला होता जा रहा है और अब इनके बीच कोई सीमा नहीं रह गई है।
डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘नियमन को बदलाव की प्रक्रिया को धीमा करने के तौर पर परिभाषित किया जा सकता है ताकि किसी प्रणाली को उसे अपनाने और नए स्वरूप में सामने आने का वक्त मिल जाए।’  
 

First Published - September 28, 2021 | 11:51 PM IST

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