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मुद्रास्फीति पर ध्यान, वृद्धि पर जोर

Last Updated- December 14, 2022 | 8:34 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है लेकिन चालू और अगले वित्त वर्ष के लिए उदार रुख बनाए रखने का वादा किया है। आरबीआई ने मुद्रास्फीति तथा आर्थिक वृद्घि के अपने अनुमान में खासा इजाफा किया है। आरबीआई के अनुसार तीसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था सकारात्मक दायरे में आ सकती है।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रीपो दर 4 फीसदी पर बरकरार रखी गई है, जो उम्मीद के अनुरूप है। 12 अर्थशास्त्रियों और बैंकरों के बीच बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में भी नीतिगत दर में किसी तरह का बदलाव नहीं होने की उम्मीद जताई गई थी। मौदिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने सर्वसम्मति से दरों में बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अक्टूबर की बैठक में बाह्य सदस्य जयंत वर्मा ने उदार रुख बरकरार रखने पर थोड़ी आपत्ति जताई थी। लेकिन इस बार सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए।
हालांकि उम्मीद थी कि आरबीआई तरलता का स्तर कम करने का उपाय करेगा क्योंकि पूंजी बाजार में दरें रीपो दर से नीचे आ गई हैं। लेकिन केंद्रीय बैंक का इरादा फिलहाल ऐसा करने का नहीं है। दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक बैंकिंग तंत्र में सुगम तरलता की स्थिति को बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि आरबीआई बाजार के भागीदारों को आसान तरलता उपलब्ध कराने के लिए आगे भी कदम उठाने के लिए तैयार है। तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई समय-समय पर खुले बाजार परिचालन के तौर पर द्वितीयक बाजारों से बॉन्डों की खरीद, रिवर्स रीपो दर में बदलाव जैसे उपाय करता रहेगा।
दास ने स्पष्ट किया कि हमारा मुख्य उद्देश्य वृद्घि को सहायता देना और वित्तीय स्थायित्व कायम रखना है।
वृद्घि पर दबाव के बीच केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति से अपना ध्यान नहीं हटाया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति को काबू में रखना हमारी शीर्ष प्राथमिकता है। केंद्रीय बैंक के अनुमान के अनुसार कुछ समय तक मुद्रास्फीति में तेजी रह सकती है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुद्रासफीति के अनुमान को 5 फीसदी से बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया है। उसका अनुमान है कि चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति 5.8 फीसदी के आसपास रह सकती है।
केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था जल्द ही सकारात्मक दायरे में आ जाएगी। हालांकि कुल मिलकार पूरे वित्त वर्ष में यह ऋणात्मक दायरे में ही रहेगा। ग्रामीण बाजारों में मांग मजबूत होगी, वहीं शहरी मांग भी जोर पकड़ रही है। आरबीआई ने कहा कि वित्तीय प्रोत्साहनों से खपत और तरलता को बढ़ावा मिला है और अर्थव्यवस्था के खुलने से रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।
आरबीआई के अनुसार तीसरी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि दर 0.1 फीसदी रहेगी और चौथी तिमाही में 0.7 फीसदी होगी। पूरे वित्त वर्ष में जीडीपी के पहले ऋणात्मक 9.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था जिसके अब ऋणात्मक 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
आरबीआई का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्घि 21.9 फीसदी रहेगी और 2021-22 की पहली छमाही में इसके 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है।
डॉयचे बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा कि दरों में कटौती का चक्र अब खत्म हो गया है। डॉयचे बैंक के अनुसार अक्टूबर की तरह इस बार आरबीआई ने दरों में कटौती की गुंजाइश का जिक्र नहीं किया है। डॉयचे बैंक के दास ने कहा, ‘मौद्रिक नीति का मौजूदा रुख वृद्घि को सहायता देने की है।’ मार्च में लॉकडाउन के बाद से आरबीआई ने रीपो दर में 115 आधार अंक की कटौती की है और फरवरी 2019 से इसमें 250 आधार अंक की कमी आ चुकी है।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा, ‘दरों में यथास्थिति बनाए रखना उम्मीद के अनुरूप है लेकिन आगे भी उदार रुख कायम रखने से बाजार पर अच्छा असर पड़ेगा।’ इस हफ्ते की शुरुआत में खारा ने कहा कि अब उधारी और जमा दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं है।
केंद्रीय बैंक ने कुछ नीतिगत उपायों की भी घोषणा की है। उसने बैंकों को लक्षित दीर्घावधि रीपो परिचालन के तहत सभी 27 क्षेत्रों को क्रेडिट गारंटी योजना के अंतर्गत कर्ज देने की अनुमति दी है। क्षेत्रीस ग्रामीण बैंकों को उनकी दैनिक जरूरतों के लिए केंद्रीय बैंक की तरलता विंडो की सहूलियत उपलब्ध होगी। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों को 2019-20 के लिए लाभांश का भुगतान नहीं करने के लिए कहा है।

First Published - December 4, 2020 | 11:29 PM IST

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