चीन के आर्थिक परिदृश्य में नरमी और वहां के सबसे बड़े प्रॉपर्टी डेवलपर्स मेंं से एक में लोन को लेकर चिंता के बीच चीन के ज्यादातर बड़े बैकों के बाजार पूंंजीकरण में तीसरी तिमाही के दौरान और कमी आई है। पोस्टल सेविंग्स बैंक ऑफ चाइना को छोड़कर एशिया प्रशांत की 20 सबसे बड़े बैंकों की सूची में शामिल चीन के अन्य सभी लेनदारों ने सितंबर में समाप्त तिमाही में बाजार पूजीकरण में गिरावट दर्ज की है। यह जानकारी एसऐंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की तरफ से संकलित आंकड़ों से मिली।
इस सूची में शामिल ज्यादातर गैर-चीनी बैंकोंं ने अपने बाजार पूंजीकरण में हालांकि सुधार देखा है। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से एशिया प्रशांत के 20 सबसे बड़े बैंकों में भारत के कोटक महिंद्रा बैंक ने जगह बनाई है, जिसके बाजार पूंजीकरण में 17.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जो गैर-चीनी बैंकों में सबसे ज्यादा है।
आईसीआईसीआई बैंंक के बाजार पूंजीकरण में सालाना आधार पर 11.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह तीन पायदान ऊपर चढ़कर सूची में 12 स्थान पर पहुंच गया। दो अन्य भारतीय बैंक एचडीएफसी बैंक व भारतीय स्टेट बैंक भी इस सूची में शामिल हैं और उनका स्थान क्रमश: 7वां व 17वां है और तिमाही के दौरान एसबीआई ने दो पायदान की छलांग लगाई है।
आर्थिक परिदृश्य में नरमी और कॉरपोरेट सेक्टर को अत्यधिक कर्ज पर लगाम के नियामकीय कदम के कारण चीन के बैंंक महीनों से कर्ज की रफ्तार में नरमी और ब्याज मार्जिन में कमी से जूझ रहे हैं। जुलाई में आईएमएफ ने चीन की जीडीपी के 2021 के अनुमान में 0.3 फीसदी की कटौती कर उसे 8.1 फीसदी कर दिया था। एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भी 2021 के लिए चीन की जीडीपी का अनुमान 8.3 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी कर दिया। कुछ विश्लेषकों ने कहा कि चीन के एवरग्रेंड समूह में जारी कर्ज संकट से उधारी को लेकर लेनदारों का भरोसा और डिग सकता है।
चाइना रेनेसा के प्रमुख (माइक्रो व स्ट्रैटिजी रिसर्च) ब्रुश पेंग ने कहा, तीसरी तिमाही में चीन के बैंकों के प्रदर्शन पर मुख्य रूप से चीन के आर्थिक सुधार, बाजार के सेंटिमेट को लेकर निवेशकों की चिंता का असर पड़ा है, साथ ही प्रॉपर्टी सेक्टर को लेकर जोखिम भी सामने आया है। पेंग हालांकि आशावान हैं कि साल का आखिरी समय चीन के लेनदारों के लिए और मौके लाएगा क्योंकि परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार, शुल्क आय में बढ़त आदि देखने को मिला है।
जुलाई मेंं एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा था कि कोविड-19 महामारी से सामान्य स्थिति की और लौटने में एशिया प्रशांत के लेनदारों को वक्त लगेगा क्योंकि टीकाकरण की रफ्तार कमजोर है।
सितंबर में कोरोना के रोजाना के मामले इलाके के कई हिस्सों में ज्यादा बने हुए हैं और कुछ इलाकों में लॉकडा्रउन भी है। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि मौजूदा और आगामी महामारी की लहरें उच्च आय वाले एशियाई देशों केलिए कमजोर रहेगी, जहां टीकाकरण का व्यापक कवरेज हुआ है। हालांकि उसने अभी भी इलाके के ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं के लिए आउटलुक में कटौती की है और भारत व हॉन्ग-कॉन्ग के लिए अनुमान को बरकरार रखा है।