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आरबीआई रिटेल डायरेक्ट, लोकपाल योजना की हुई अच्छी शुरुआत

Last Updated- December 11, 2022 | 11:22 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक रिटेल डायरेक्ट योजना की अच्छी शुरुआत हुई है लेकिन केंद्रीय बैंक स्वयं ही इसे अतिरिक्त स्रोत के तौर पर देख रहा है न कि मौजूदा स्रोतों के विकल्प के तौर पर।
फिर भी, एक उचित अनुमान यही है कि इसके परिचालित होने के एक महीने के भीतर कम से कम 100,000 निवेशक जुड़ेंगे और यदि नया रुझान बरकरार रहता है तो इसमें अच्छी प्रगति होती रहेगी।
रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण 35,000 का आंकड़ा पार कर चुका है। विचार और अधिक संख्या में अमीर व्यक्तियों और अपने निवेशों के लिए सुरक्षित स्थान तलाश रहे पेंशनभोगियों को इससे जोडऩे का है।  
इस क्षेत्र पर नजदीक से नजर रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि नियमित खुदरा व्यापारी इस प्लेटफॉर्म पर आने में समय लेंगे क्योंकि उन्हें बॉन्ड ट्रेडिंग की जटिलताओं को समझना पड़ेगा।
उस व्यक्ति ने कहा कि उदाहरण के लिए एक आम निवेशक प्रतिफल और कीमतों के बीच के संबंध तथा कूपन और प्रतिफल किस प्रकार से अलग अलग हो सकते हैं, से अनभिज्ञ होता है।
कर, बढ़ते ब्याज दर के परिदृश्य में रिटर्नों में आ रही कमी और संभावित तौर पर होने वाले नुकसान जैसे मुद्दों से फिलहाल के लिए प्लेटफॉर्म को व्यापक तौर पर अपनाने में रुकावट आ सकती है। भले ही बॉन्ड कुछ मामलों में बैंक जमाओं से अधिक रिटर्न देते हैं लेकिन लघु बचत प्रमाण पत्र और भविष्य निधि 7.50 फीसदी से अधिक की पेशकश कर रहे हैं।  
तीन वर्ष की निश्चित अवरुद्घता अवधि (लॉक-इन पीरियड) वाले डेट म्युचुअल फंड भी मौजूदा समय के सरकारी बॉन्डों से अधिक रिर्टनों की पेशकश करते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि 10,000 रुपये की न्यूनतम निवेश सीमा ने कई छोटे निवेशकों को इससे जुडऩे से रोक दिया। हालांकि, आगामी दिनों में इसमें तेजी आएगी लेकिन अफरातफरी जैसी कोई बात नहीं होगी।
हालांकि, एकीकृत लोकपाल योजना को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और इस मामले के जानकार लोगों का कहना है कि ऐसा लगता है कि लोगों ने इसे आसानी से अपनाया है।
12 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों ही योजनाओं का लोकार्पण किया था। लोकर्पण के दिन ही रिजर्व बैंक के पास 1,300 शिकायतें आई थी और इस मामले के जानकार लोग बताते हैं कि यह संख्या लगातार बढ़ रही है। ग्राहक लोकपाल योजना में शामिल किए गए ई-मेल पर भी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं।
इस मामले से अवगत सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय बैंक की योजना भविष्य में सोशल मीडिया पर की गई शिकायतों को एकीकृत प्रणाली पर की गई औपचारिक शिकायतों में बदलने की है। लेकिन यह विचाराधीन है और इस पर कोई काम नहीं किया गया है।    
रिजर्व बैंक चाहता है कि शिकायतों का निपटारा 30 दिनों में हो जाए जबकि मौजूदा प्रणाली में इससे करीब दोगुना औसतन 56 दिन का वक्त लगता है। कॉल सेंटर में रिजर्व बैंक के अपने कर्मचारी ही नियुक्त किए जाएंगे। इसकी वजह यह है कि बाहरी एजेंसियों को फ्रंट ऑफिस जॉब का आवंटन करने पर विचार करने से पहले केंद्रीय बैंक अपने स्तर से इसका अनुभव हासिल करना चाहता है। 

सहकारी समितियों में बैंक के नाम को लेकर सतर्क रहें लोग
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सहकारी समितियों के नाम में बैंक का इस्तेमाल किए जाने को लेकर लोगों को सतर्क रहने को कहा है। आरबीआई ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 में किए गए संशोधन के बाद कोई भी सहकारी समिति बैंक, बैंकर या बैंकिंग शब्द का इस्तेमाल अपने नाम में नहीं कर सकती है। हालांकि, रिजर्व बैंक से इसके लिए पूर्व-अनुमति होने पर उसे ऐसा करने की छूट होगी। बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन 29 सितंबर, 2020 से ही प्रभावी हो चुके हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा कि कुछ सहकारी समितियों द्वारा अपने नाम में बैंक शब्द के इस्तेमाल की शिकायतें उसे मिली हैं, जो कि इस संशोधित नियम का उल्लंघन करते हैं। कुछ समितियां गैर-सदस्यों से भी जमा राशि स्वीकार कर रही हैं, जो गलत है।       भाषा

First Published - November 22, 2021 | 11:26 PM IST

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