सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 1 अप्रैल, 2022 को या उसके बाद गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में बदल रहे 50 करोड़ रुपये तक के ऋण खातों के लिए कर्मचारियों की जवाबदेही की नीतियां लागू करेंगे। इनमें धोखाखड़ी वाले खाते शामिल नहीं होंगे।
यह उम्मीद की जा रही है कि इससे सभी सरकारी बैंकों में एनपीए बनने वाले खातों के मामलों में कर्मचारियों की जवाबदेही के लिए एक सामान्य तरीका सुनिश्चित होगा और कर्मचारियों को अनावश्यक कठिनाइयों से बचाया जा सकेगा।
वित्त मंत्रालय ने सलाह दी थी कि व्यापक दिशानिर्देशों (संशोधित) को सभी पीएसबी द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए। बैंक इन व्यापक दिशानिर्देशों के मुताबिक कर्मचारियों की जवाबदेही की नीतियों में बदलाव करेंगे और संबंधित बोर्डों की मंजूरी से पूरी प्रक्रिया का ढांचा तैयार करेंगे।
इंडियन बैंक एसोसिएशन ने एक बयान में कहा है कि बैंक इस समय विभिन्न प्रक्रियाओं का पालन कर रहे हैं। साथ ही कर्मचारियों की जवाबदेही की कवायद एनपीए में तब्दील सभी खातों के मामलों में की जा रही है। इससे न सिर्फ कर्मचारियों के मनोबल पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि इससे बैंक के संसाधनों पर भी भारी दबाव पड़ता है। गलत नीयत और कार्यों में लगे अधिकारियों के साथ दंडात्मक कार्रवाई की जरूरत है, वहीं यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सामान्य गलतियों से हुए मामलों से सहानुभूतिपूर्वक निपटा जाए। आईबीए ने कहा कि प्रतिस्पर्धी माहौल में कारोबारी फैसले लेने वाले लोगों के संरक्षण की जरूरत है।
इस मसले पर ऐसे समय में तत्काल ध्यान देने की जरूरत है, जब देश को आर्थिक गति देने और उद्योगों को कर्ज देने की रफ्तार डर की वजह से सुस्त है।
बैंक अपने बोर्ड की मंजूरी के माध्यम से कर्मचारियों की जवाबदेही के लिए 10 लाख या 20 लाख रुपये की सीमा भी तय कर सकते हैं, जो उनके कारोबार के आकार पर निर्भर हो सकता है।
बैंकों को खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत करने के बाद अपनी कवायद 6 महीने में पूरी करनी होगी। इसके अलावा बैंकों के आकार के आधार पर इसकी सीमा के बारे में जवाबदेही को लेकर मुख्य सतर्कता आयुक्त से जांच के बारे में सलाह दी जाएगी। आईबीए ने कहा कि कर्मचारियों के पिछले रिकॉर्ड जैसे अप्रेजल, धन जारी करने व निगरानी आदि को भी अधिभार मिलेगा।