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आईसीआईसीआई का ध्यान आंतरिक विकास पर

Last Updated- December 07, 2022 | 3:40 AM IST

बैंकों के वैल्युएशंस में लगातार इजाफा होने और बहुत कम निजी बैंक अधिग्रहण के लिए उपलब्ध होने से अब आईसीआईसीआई बैंक ने कंसॉलिडेशन के बजाए अपने आंतरिक विकास का रास्ता अख्तियार करने की सोच रहा है।


इस संबंध में इस बैंक  की संयुक्त प्रबंध निदेशक चंदा कोचर का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अधिग्रहण के लिए खुले हुए नहीं हैं जबकि प्राइवेट सेक्टर में काफी कम बैंक ही अधिग्रहण के लिए बचे हुए हैं। इसके अलावा अधिग्रहण पर लगने वाले लागतों में काफी ज्यादा इजाफे के चलते अब यह प्रक्रिया खासी महंगी हो गई है।

लिहाजा, बेहतर यह है कि ऑरगेनिक ग्रोथ पर ही ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जाए। हाल ही में एचडीएफसी बैंक ने राणा तलवार के बैंक सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब का अधिग्रहण किया था,जिसके लिए उसे कुल 9,510 करोड़ रूपये का भुगतान करना पडा था। यह लगभग बैंकिंग इंडस्ट्री में अब तक  की सबसे बड़ी डील थी। इस बैंक के प्रत्येक 29 शेयरों पर निवेशक को एचडीएफसी के एक शेयर मिलने हैं।

चंदा कोचर आगे कहते हैं कि हम ऑरगैनिक और इनऑरगैनिक ग्रोथ के लिए उपलब्ध विकल्पों का मूल्यांकन कर रहे हैं।इसके अलावा हम हमेशा यह पूछते हैं कि हम कितनी शाखाएं खोल सकते हैं और कम अवधि के दौरान ही क्या हम अपने बैलेंस शीट में कितने लागत पर इजाफा कर सकते हैं।

गौरतलब है कि आईसी-आईआई बैंक ने पिछले 15 दिनों के भीतर ही अपनी शाखाओं में  दुगुना इजाफा करते हुए इनकी संख्या 1,425 कर दी है। इस बैंक ने सांगली बैंक के अधिग्रहण करने के साथ-साथ 200 के करीब शाखाएं और जोड़ी हैं। कोचर कहते हैं कि हम अधिग्रहण के लिए हमेशा ही तैयार हैं लेकिन यह अगर कम लागत की हो तो यह बेहतर विकल्प होगा।

First Published - June 4, 2008 | 8:27 PM IST

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