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अगले वित्त वर्ष महंगाई रह सकती है 5.2 फीसदी : आरबीआई रिपोर्ट

Last Updated- December 11, 2022 | 2:35 PM IST

 आरबीआई के स्ट्रक्चरल मॉडल इस बात का संकेत देते हैं कि अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 में औसत खुदरा महंगाई दर (CPI based retail inflation) 5.2 फीसदी रह सकती है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आरबीआई के अनुमान 6.7 फीसदी से यह कम है लेकिन केंद्रीय बैंक के लक्ष्य (टॉलरेंस बैंड) यानी चार फीसदी से ज्यादा है।

आरबीआई की सितंबर की मॉनेटरी पॉलिसी रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 की  चौथी तिमाही के लिए खुदरा महंगाई दर के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है।

मॉनेटरी पॉलिसी के ऐलान के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि अगले दो साल में खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी के लक्ष्य के आस-पास आ जाएगी।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आरबीआई के स्ट्रक्चरल मॉडल, रियल जीडीपी ग्रोथ (real GDP growth) के 6.5 फीसदी रहने का संकेत देते हैं, जो मौजूदा वित्त वर्ष के अनुमान यानी 7 फीसदी से कम है। 

आरबीआई के अनुसार अगले वित्त वर्ष के लिए 5.2 फीसदी का औसत महंगाई अनुमान  यह मानकर किया गया है कि मानसून सामान्य होगा, आपूर्ति को लेकर व्यवधान दूर होंगे, और कोई प्रतिकूल नीतिगत बदलाव नहीं होंगे।

 इससे पहले शुक्रवार को मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने रीपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट यानी 0.5 फीसदी बढ़ाकर 5.90 फीसदी करने की घोषणा की। रीपो रेट में बढ़ोतरी का उद्देश्य महंगाई को आरबीआई के लक्ष्य के आस-पास लाना है। आरबीआई की तरफ से महंगाई को लेकर लक्ष्य (टॉलरेंस बैंड) 4 फीसदी तक रखने का है, जिसमें 2 फीसदी नीचे या ऊपर जाने की गुंजाइश है।

 मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने अपने बयान में सिर्फ अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक के लिए महंगाई को लेकर अनुमान जताया है। जबकि आरबीआई अपने मॉनेटरी पॉलिसी रिपोर्ट में महंगाई को लेकर लॉन्ग-टर्म के लिए अपना अनुमान देगी।

आरबीआई के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में औसत खुदरा महंगाई 6.7 फीसदी रह सकती है। जबकि केंद्रीय बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए 7.1 फीसदी, तीसरी तिमाही के लिए 6.5 फीसदी और चौथी यानी अंतिम तिमाही के लिए इसके 5.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। वहीं अगले वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के दौरान यह 5 फीसदी रह सकता है।  

आरबीआई के अनुसार अर्बन हाउसहोल्ड के लिए किए गए अपने पिछले सर्वे के मुकाबले सितंबर के लिए किए गए सर्वे में अगले 3 महीने और एक साल के लिए मीडियन महंगाई अनुमान में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा दर्ज किया गया।
 महंगाई को लेकर आरबीआई के अनुमान कई कारकों (फैक्टर्स) पर निर्भर करेंगे। ये फैक्टर्स महंगाई में तेजी और नरमी दोनों से संबंधित हैं। महंगाई में और तेजी आ सकती है यदि वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव (geo-political tensions) सुलझने के बजाय और गहराता है, कमोडिटी खासकर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आती है, ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में उठापटक (volatility) बढ़ती है या आपूर्ति में व्यवधान अनुमान से ज्यादा दिनों तक जारी रहता है।

 इस साल फरवरी के अंत में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण किए जाने के बाद वैश्विक स्तर पर आपूर्ति में आए भारी व्यवधान की वजह से कमोडिटी की कीमतों में वैश्विक स्तर पर जबरदस्त उछाल देखने को मिला। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा और खुदरा महंगाई दर में बढ़त देखने को मिली।

ताजा आंकड़े बताते हैं कि कैलेंडर ईयर 2022 के पहले 8 महीनों के दौरान खुदरा महंगाई आरबीआई के लक्ष्य (टॉलरेंस बैंड) से ऊपर रही है। अगस्त में यह 7 फीसदी थी। 

First Published - September 30, 2022 | 5:52 PM IST

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