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वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को चेताया! कहा- पूंजी पर्याप्त है, अब लोन वितरण तेज करो, ज्यादा लोगों तक पहुंचे सुविधा

ऋण वृद्धि की रफ्तार कम होने पर वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक बैंकों को पूंजी पर्याप्तता का लाभ उठाकर आक्रामक रूप से ऋण आवंटन बढ़ाने को कहा।

Last Updated- June 27, 2025 | 11:25 PM IST
nirmala sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण | फाइल फोटो

ऋण आवंटन की रफ्तार कम होने के बाद वित्त मंत्रालय हरकत में आ गया है। ऋण आवंटन की दर कमजोर पड़ने के बीच वित्त मंत्रालय ने एक समीक्षा बैठक बुलाकर अधिक पूंजी पर्याप्तता अनुपात रखने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऋण आवंटन बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इस मामले से वाकिफ सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक में इन बैंकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे ऋण आवंटन बढ़ाने पर ध्यान दें।

शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अधिसूचित व्यावसायिक बैंकों की ऋण आवंटन वृद्धि दर 30 मई को समाप्त पखवाड़े में कम होकर 8.97 प्रतिशत रह गई जो पिछले तीन साल का सबसे कम स्तर है। इसके बाद 13 जून को समाप्त पखवाड़े में भी यह 9.6 प्रतिशत के साथ एक अंक में ही रही। 20 मार्च 2024 तक ऋण आवंटन की वृद्धि दर 20 प्रतिशत से ऊपर रही थी।

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जो आंकड़े जुटाए हैं उनके अनुसार 12 सरकारी बैंकों में 10 का जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर) मार्च 2025 तक 17 फीसदी से अधिक रहा है। नियमों के अनुसार उनके लिए न्यूनतम 11.5 फीसदी अनुपात ही रखना जरूरी है।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का सीआरएआर मार्च 2025 तक 14.25 फीसदी और केनरा बैंक का 16.33 फीसदी था। बाकी सभी सरकारी बैंकों में सीआरएआर 17 फीसदी से 20.53 फीसदी के बीच है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सीआरएआर 18 फीसदी से अधिक हैं। मार्च 2025 तक बैंक ऑफ महाराष्ट्र का सीआरएआर 20.53 फीसदी  था।

इस समीक्षा बैठक के बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि सीतारमण को यह भी बताया गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पास पूंजी की कोई कमी नहीं है और उनका सीआरएआर मार्च 2025 तक 16.15 प्रतिशत था। बयान के अनुसार वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों को तेजी से उभरते व्यावसायिक क्षेत्रों की पहचान करने के लिए कहा।  

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 13 जून तक जमा वृद्धि 10.4 प्रतिशत रही, जो पिछले पखवाड़े के 9.9 प्रतिशत से अधिक है और यह ऋण वृद्धि से लगातार अधिक रही है। पिछली बार मार्च 2022 में ऋण वृद्धि 9 प्रतिशत से कम थी।

यह ऋण का धीमा रुझान, केंद्रीय बैंक द्वारा फरवरी से नीतिगत रीपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती करने और अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नकदी बनाए रखने के बावजूद है। रीपो दर अब 5.5 प्रतिशत है और गुरुवार तक अर्थव्यवस्था में शुद्ध नकदी 2.71 लाख करोड़ रुपये अधिशेष में थी।

एक अन्य सूत्र ने समीक्षा बैठक के बारे में बताया, ‘मंत्री ने बैंकों से ब्याज दरों में कटौती के बाद आक्रामक रूप से ऋण बढ़ाने को कहा है। बैंकों को अधिक से अधिक लोगों को ऋण देना चाहिए। बैंकों को पिछले साल की तुलना में अधिक ऋण देने पर ध्यान देने का निर्देश दिया गया है।’

आरबीआई के जून के मासिक बुलेटिन में कहा गया है कि अप्रैल में ऋण वृद्धि में मंदी, मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र और कृषि तथा संबद्ध गतिविधियों को दिए गए ऋण की वृद्धि में कमी के कारण है। बुलेटिन के एक लेख में 30 मई तक ऋण वृद्धि में 10 प्रतिशत से कम की कमी को धीमी गति के साथ-साथ प्रतिकूल आधार प्रभावों  का परिणाम बताया गया है। 

वहीं बैंक, सूक्ष्मवित्त और असुरक्षित खंडों में अधिक दबाव को देखते हुए, वृद्धि के बजाय परिसंपत्ति गुणवत्ता को प्राथमिकता देने के लिए ऋण देने में सतर्कता बरत रहे हैं।

वित्त वर्ष 2025 में, ऋण वृद्धि एक साल पहले के 16 प्रतिशत से कम होकर 12 प्रतिशत हो गई क्योंकि नियामक की चिंताओं और उच्च आधार प्रभाव के कारण बैंकों ने जोखिम वाले क्षेत्रों के ऋणों में ऋण कम कर दिया, जिससे बैंकों की खुदरा ऋण देने की रफ्तार वित्त वर्ष 2024 के 27.6 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 11.6 प्रतिशत हो गई।

इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक कम आधार प्रभाव और खुदरा तथा एनबीएफसी के ऋण में कम वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था में ऋण वृद्धि धीमी पड़ गई है। हालांकि, अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नकदी, रीपो दर में कमी और भविष्य में बैंकों की नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) आवश्यकताओं में कमी से निकट भविष्य में ऋण वृद्धि में तेजी आने की संभावना है।

रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2026 में ऋण वृद्धि 13-13.5 प्रतिशत सालाना रहने का अनुमान लगाया है, जिसमें एनबीएफसी और खुदरा को दिए गए ऋण में लगातार मंदी के साथ मिश्रण बदलने की संभावना है। इसकी भरपाई निजी पूंजीगत व्यय में सुधार से होने की संभावना है, जिससे कॉरपोरेट श्रेणी की वृद्धि को लाभ होगा।  मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘जमा और ऋण रुझानों की समीक्षा के दौरान, वित्त मंत्री ने मौजूदा ऋण वृद्धि का समर्थन करने के लिए जमा जुटाने की कोशिशों में निरंतरता पर जोर दिया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को विशेष अभियान चलाने, अपनी बैंक शाखाओं के नेटवर्क का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने और अर्ध-शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।’ 

First Published - June 27, 2025 | 11:07 PM IST

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