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आईएफसीआई की इकाइयों को बेचने के विकल्प की तलाश

Last Updated- December 12, 2022 | 10:26 AM IST

सरकार गैर-बैंकिंग ऋणदाता कंपनी में पैसा डालने के लिए आईएफसीआई की सहायक इकाइयों को बेचने के लिए विकल्पों का आकलन कर रही है। एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार आईएफसीआई में पैसा डालने को लेकर उत्सुक नहीं है और इसकी सहायक इकाइयों स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और आईएफसीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट द्वारा सृजित मूल्य का आकलन करने की योजना बना रही है।  आईएफसीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक उसकी दबावग्रस्त परिसंपत्तियों में इजाफा हुआ है और मार्च में उसकी शुद्घ गैर-निष्पादित संपत्तियों तथा अग्रिमों का अनुपात 42.7 फीसदी था जो एक वर्ष पहले 31.8 फीसदी रहा था। 
 
केयर रेटिंग की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का सकल एनपीए अनुपात 31 मार्च के 61.9 फीसदी के मुकाबले 30 जून को 62.5 फीसदी था।  कंपनी और सरकार गैर-बैंक ऋणदाताओं के निवेशों और गैर-प्रमुख संपत्तियों को बेचकर गैर-बैंक ऋणदाताओं के भाग्य को बदलना चाहती है लेकिन यह अभी तक संभव नहीं हो पाया है।  एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘आईएफसीआई के कुछ मुद्ïदे पहले से चले आ रहे हैं जो अभी भी परेशान कर रहे हैं। लेकिन उसकी कुछ सहायक इकाइयों का मूल्य अच्छा है।’ उन्होंने कहा कि सरकार यह पता लगा रही है कि इन सहायक इकाइयों द्वारा बनाए गए मूल्य को कैसे भुनाया जा सकता है जिससे कि मूल कंपनी दोबारा से कारोबार में वापसी कर सके।
 
वित्त सेवा सचिव देवाशीष पांडा ने पिछले हफ्ते बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा था कि सरकार की ओर से हर बार आईएफसीआई में पैसा डालने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा था कि सरकार कंपनी को पटरी पर लाने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है जिसमें कंपनी की रणनीतिक हिस्सेदारी बिक्री भी शामिल है। सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार पहले सहायक कंपनियों की बिक्री के माध्यम से औद्योगिक वित्त कंपनी को उबारने की कोशिश करेगी और रणनीतिक बिक्री अंतिम विकल्प होगा। 30 सितंबर के मुताबिक आईएफसीआई में सरकार की हिस्सेदारी 61 फीसदी है। 
 
सुरक्षा के तहत संपत्तियों के संदर्भों में स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया देश की सबसे बड़ी संरक्षक है और यह संस्थागत निवेशकों, म्युचुअल फंडों, बैंकों और बीमा कंपनियों को ट्रेडिंग के उपरांत और सुरक्षा सेवाएं मुहैया कराती है। आईएफसीआई की 52.9 फीसदी हिस्सेदारी वाली इस कंपनी की तीन सहायक इकाइयां एसएचसीआईएल सर्विसेज, स्टॉकहोल्डिंग डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट सर्विसेज और स्टॉकहोल्डिंग सिक्योरिटीज आईएफएससी है। आईएफसीआई इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट आईएफसीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई है और इसकी रुचि रियल एस्टेट तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र में है। आईआईडीएल रियल्टर्स कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इाकई है। उक्त अधिकारी ने कहा कि ये सहायक इकाइयां किसी भी तरह की पूंजी जरूरत के लिए अपनी मूल कंपनियों पर निर्भर नहीं हैं और इनका बही खाता मजबूत है। 
 
उन्होंने कहा कि आईएफसीआई की इन सहायक इकाइयों ने कुछ मूल्य निर्मित किए है। उन्होंने कहा, ‘यदि सहायक इकाइयों के मूल्य को भूनाया जाता है तो उसका इस्तेमाल मूल कंपनी द्वारा किया जा सकता है और यह उसके कारोबार में वापसी के लिए सहायक हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि आईएफसीआई के नए प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी की नियुक्ति के बाद इस प्रक्रिया में तेजी आएगी। एनबीएफसी के प्रमुख ईएस राव का कार्यकाल सितंबर में समाप्त होने के बाद अब तक सरकार ने नए प्रमुख की नियुक्ति नहीं की है। 

First Published - December 25, 2020 | 9:54 PM IST

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