हाल ही में शीघ्र सुधारात्मक कार्रवाई व्यवस्था से बाहर निकला सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया अब व्यवहार्यता के आधार पर अपने शाखा नेटवर्क को आधार देगा। बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एमवी राव ने अभिजित लेले से कहा कि बैंक अपने सूचीबद्ध शेयरों के वास्तविक मूल्य की खोज की सीमाओं से अवगत है क्योंकि बाजार में कम फ्लोटिंग स्टॉक है। संपादित अंश:
बैंक के लिए पीसीए ढांचे से बाहर निकलने का क्या अर्थ है?
पीसीए ढांचे के बैंक के अधिक व्यवस्थित और नियंत्रित तरीके से बढ़ने में मदद की। पीसीए के तहत लगाई गई सीमाओं ने बैंक को गुणात्मक मुद्दों पर आज्ञाकारी बना दिया। यह बैंक को भविष्य में मदद करेगा। पीसीए लागू करने में योगदान देने वाले कारक यानी नीतिगत ढांचे, प्रक्रियाओं, या आंतरिक नियंत्रण, हामीदारी मानकों में अंतराल को संबोधित किया गया है। अंततः, शुद्ध नतीजे सकारात्मक रहेंगे और हम इसे पिछली पांच तिमाही से देख रहे हैं। इस आधार पर हमने रिजर्व बैंक से अनुरोध किया और इसने बैंक को पीसीए ढांचे से हटा दिया।
व्यवसाय के प्रति आपका दृष्टिकोण अब क्या होगा?
बैंक पीसीए के अधीन रहे या नहीं हमारे व्यवसाय मॉडल पर कोई बदलाव नहीं होगा। यदि आप देखें तो खुदरा, कृषि और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और कॉरपोरेट्स के संबंध में बैंक ने क्रेडिट बुक में जो बैलैंस लाया है वह 65 फीसदी से 35 फीसदी के अनुपात में रखा जाएगा। परिस्थितियों के आधार पर 5 फीसदी अंतर हो सकता है। बैंक उस जोखिम भारित आस्तियों पर जोर दे रहा है जिसे वह अर्जित कर रहा है। हालांकि कुल अग्रिम 1.89 लाख करोड़ रुपये हैं, मेरी जोखिम भारित परिसंपत्तियां केवल 65 फीसदी है।
भर्ती की क्या योजनाएं हैं?
जब पीसीए लगा था तब 38,000 कर्मी थे। अब, यह 32,000 रह गए हैं। हाल ही में हम बोर्ड के पास गए और अलग-अलग स्तर पर 1,700 भर्तियां करने के लिए अनुमति लेकर आए। सूचना प्रौद्योगिकी और जोखिम प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में हमने काफी विशेषज्ञ लिए हैं।
बैंक में सरकार की पकड़ काफी ज्यादा है? आप उस मुद्दे से कैसे निपटने जा रहे हैं?
बैंक की पूंजी पर्याप्तता अच्छी है। हां, यह सच है कि सरकार की अधिक पकड़ होने से बाजार में बहुत कम फ्लोटिंग स्टॉक है। इस मामले को सरकार के समक्ष उठाएंगे।